मृच्छकटिकम | Mrichchhakatikam

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Book Image : मृच्छकटिकम  - Mrichchhakatikam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भुमिका। १४ की रचना नहीं है । शकर इसे मास की ही रचना मानते हैं । “वीणा ास्चवदत्ता भी मापा एव शैली में मुच्छकटिक से मित्र है । अत वह भी शूद्रक की रचना नही है) कुन्हन राजा उसे भास की रचना मानते हैं, किन्तु वस्तुत “पदुमप्रामृतक' एवं *वीणा वास्वदत्ता' दौनी न तो झूदक की रचना है और न मास कौ} कामदत्ता तो निश्चित रूप से शूट्रक वी. रचना नहीं है । मपह केवल बटलमदेव की ही कल्पना हैं कि शूद्रव इसके रचपिता हैं । द्वितीय दिवेक सस्कृत नाट्य-साहित्य मे मृच्छकटिक सर्छृत नादट्य-साहित्य का महत्व नाट्य-सिद्धन्त के प्राचीननम ग्रन्थ भरत मुनि रचित नाट्यशास्त्र मे परि- 'रद्षित भारतीय परम्परा नाट्य की दैवी उत्पत्ति तथा ईदवरीय वेदौ से उसका धनिष्ठ सम्बन्ध मानती है । नाटय शब्द वस्तुव रूपक को भमिन्यजना करता है । ललित कलायो मे सर्वशेष्ठ स्थान~काव्यक्ला को तथा कान्य-कला मे मी श्रेष्ठतम स्थान नाटक को दिया गया है। काव्य मे नाटक के इस उत्कृप्ट स्वरूप को दृष्टि में रखते हुए ही हमारे प्राचीन सहददय काव्य मर्मज्ञो ने यह छोपणा की -- काव्येषु नाटक रम्यम्‌ नाटक सस्कृत-साहित्य का अत्यन्त प्राचीन कालस ही एक भतिशय गौरवपूणे धग रहा है। काव्य थी. थपेक्षा नाटक की प्रतिष्ठा सदा अधिक रही है। नाटक आानन्दौपकलच्धि का एक प्रमुख साधन है । ब्रहम ने ऋग्वेद से पादय (सवाद), सामवेद से समीत, यजुवेद से अभिनय तथा अथवंवेद से रस नामक तत्वों को ग्रहण कर नाटयवेद नामक पंचम वेद का निर्मण लिया ।' इसे सावंवणिष पचम वेद की सज्ञा दी गई है । काव्य श्रवण मागें से हृदय को भआकृप्ट करता है निन्तु नाट्य श्रवण मार्ग के अतिरिक्त मेत्र मार्ग से हृदय को विद्वेप चमत्कत करता है । नाट्य, अभिनय, सगीत वेशभ्ूपा तथा संदाद लादि के माध्यम से दर्शकों के हृदय पर स्थायी प्रमाव डालता है । मनुष्यों की रुचिया मिन होही है मितदचिहि लोकः । फिस्तु नाट्य नित खचि रने वाठे सभी व्यक्तियों को समान रूप से मानस्द प्रदान करता है । सवस्थागो फी सनृङृति ही नाट्य बहुलानी है-- 'अवम्थानुङ्तिर्नाद्यम्‌' चादूममे जोकःवृत्त का अनुकरण होता है । नाटुप चमे, प्च, आयु, हित तथा बुद्धि की वृद्धि करता है ! जीवन के स्तर को उदात्त एंव आदर्श बनाना ही नाट्य का उद्देदय है। मादूय में वही घर्मे कही ब्रीडा, कही यर्थ कही श्रम, कही हास्य, कही




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