योगशास्त्र पे विचार | Yogshastra Pe Vichar

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Yogshastra Pe Vichar  by महाराज साहब श्री चतुरसिंह जी - Maharaj Sahab Shree Chatursingh Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(११) (प्राणायाम रहस्य) भिर 2 सिक भ्वास प्रश्वास शू दन्दियां येते श्रर्थात्‌ इन्द्रियां ने कषान ष्टेवे ने इन्द्रियों ने ज्ञान ब्देवा दूर सन यरो । फ्यूँ के इन्द्रियां ये कद मद गरणेटो खावा रे नाम हीज़ मन है। मन शु श्राखो संसार वरी श्रर्थात्‌ निश्चय ब्देवे; निश्चय शूँ ही संसार है । पादयो शरवो चालवः शूँ यो मिदे । निश्चय मन में, मन इन्द्रियाँ में ने इन्द्ियाँ शाँस में, शाँस मठति में मिले जदी शाँस वा इन्द्रियाँ घा निधय श्रादि कई भी निलाण्श दीख जाय । जदी'ज सब छूट मुक्ति ब्हे” जाय है; ने ईं रो उपाय, शाँस में निश्चय शु मन ने मिलावणी है। यो, मायायाम,करवा शुं ष्टे दै। प्राणायाम री विधि योगदर्शन वा भाष्य में देरी ।




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