जीव की कहानी | Jeev Ki Kahani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८५) सन्तु क वात मुझे बहुत पसन्द श्यी 1 किताब मैने लिखी, शरीर, सन्तू ने उसका सम्पादन किया ! जयं जा चात उसकी सम मं नदीं '्ायी, वहाँ मैंने फिर से समझाने की कोशिश की । इस भ्रकार यह्‌ फिताव श्रव प्रेस में जा रही है। इस पर शव सन्तु का दी अधिकार नहीं रददा । यह व उसकी उम्र के सभी बालकों की, सम्पत्ति है। सभी चालक व इसे पढ़ सकते हैं. छोर इससे लाभ उठा सकते हैं। जैसा कि पाठक देखेंगे, यह छोटी सी पुस्तक मैंनि विद्वानों रौर श्ालोचकों के लिए नहीं लिखी । मूलतः इसकी रचना एक बारह चर्प के छोटे बालक के लिए हुई है; जा एक देहात में रहता है, ` लोअर प्राइमरी की चौथी कक्ता तक जिसने शिक्षा पायी है, और उसके उपरान्त जिसकी शिक्षा का भार डफ जैसे अयोग्य व्यक्ति के क्यों पर लाद दिया गया हे। इसलिए सम्भव है विद्वज्जनों के लग्‌ पुस्तक श्चधिक रोचक श्ौर ज्ञानवद्धक सिद्ध न हो, परन्तु इसे पढ़ने के उपरान्त सन्तू की उम्र के अन्य वालकों की घुद्धि का तनिक भी विकास हुआ, जितना ये जानते हैं. उससे अधिक जानने श्नौर समने की तनिक भ लालसा उनफे मन मे लाम्रत हुई, तो मैं अपना परिश्रम सफल ,सममूँगा ।




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