विषलता अर्थात इसलाम का फोटो प्रथम भाग | vishalta arthart islam ka photo pratham bhag

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विपल्रता । ( है७ ) फ्रायरज्ञास्डेंस लिखता है कि ' भारतवाली चात के बड़े सच्चे और न्याय के पक्के हैं? । छुडी शताब्दी मैं फोटो शाद वीन की तरफ से हिम्द्स्तान में पल्नची वंनकरी आया थी | इसने लिखा है कि 'सारतवासी कौल और इचपर के बड़े पक्के हैं । श्रौए लीसी ने श्परददयों सद्दी में जो जुगराफ्या तैयार किया है, उलमें भार + घासियों का ज़िकर करते हुए, उसने लिख। है कि- “भमोरतवासी स्वभाव से दी न्पायपिय हैं । वे किम तरद भी न्याय को नहीं डुं। डे । वे प्रते कौन के प्ले हैं घोर किसी ताद प्रतिज्ञा भट् नहीं करते | थे न्थाप के लिये प्रसिद्ध हैं दर रु देश के लोग उपकी तरफ दोड़े चले झाते हैं *। मैं कस परूचर साइव ' इरिइया पड हद केन इट ठोच नाघ को किवाब में शम शुद्दीन झत्रू अचदुल्ना के वाक्य को लेकत केतने हैं कि भारतवासी रेत के परमाणु प्री. को नरद वेशुपार हैं? उनमें घोझा शरीर अन्याय नाम को लड़ी । उपको से जीने की पर्व न माने का ड है। मार कोपी नो तेरद घीं सदी का प्रसिद्धयात्री भी श्रपनी यात्रा की पुस्तक मै,,लिखता है कि-“मारतवर्प के ब्राह्मण संतार भर में समले बढ़िया सं.द गर हैं । चरद बड़े ही वोलने घाले हैं । दुनिया में किसी के थदले, वें. झूठ बोलना नहीं चाहते” | (मार्कापो नो नें भारत के बे नयों को ब्राह्मण समक्ष था)। क्रमालुद्दीन झवदुर्ररज्ज़ञाक सम प्कु दो, जोकि ख़ाकान को श्रोए से महाराज, कालो-




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