संयुत्तनिकाय [ भाग 1 ] | Sanyutta Nikay [ Part 1 ]

Sanyutta Nikay [ Part 1 ] by जगदीश कश्यप भिक्षु - Jagdish Kashyap Bhikshu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) निधे की मयान तष्टसीर में विद्यमान हैं। सिंइपुर हुएनसाग के समय में तक्षशिठा सं ११७ सीछ पूरव स्थित था 1 अन्य नगरों का कुछ पता नहीं । अदलकप्प--वैशाठी के किच्ठवियों, मिथिला के विदेहा, कपिलवस्तु के दाक्यो, रामग्राम के कोछियों, सुंसुमारगिरि के भर्गों और पिंप्दलिवन के मीयों की भांति लल्लकप्प के घुलिया का भी अपना स्वतन्त्र राज्य था, किन्तु बहुत शक्तिशाली न था । यह ५० योजन विस्तृत था । इसका सम्वन्ध चेडदीप के राजवदच से था । श्री बील का कथत है कि बेठदीप का घ्ोण घाह्मण शादावाद निले से मसार से वैशाली जानेवाले मार्ग में रहता था । अत. अर्छकप्प चेठदीप से बहुत दूर न रहा होगा | सदलकृष्प के युखियो को बुद्धधातु का एक अक मिला था, जिसपर उन्होंने स्तूप बनवाया था । मद्देय--भड्ड जनपद के भद्टिय नगर से महोपासिका विश्ञाखा का जन्म हुआ था | वेछुचग्राम--यहद बेशाली में था | सण्डयास--पह चजी जनपद मे स्थित था । घ्मपाल ग्राप--यह काशी जनपढ का एक आम था | पकशाला--यह कोश जनपढु में एक घाह्मण आम था | पकनाला-- यद मगध के दक्षिणागिरि प्रदेश मे एक व्राह्मण माम था, जहां भगवान्‌ ने वास किया था । परकच्छ--यष्ट ठसण्ण रज्य का एक नगर था। कऋषिपतन--यह ऋपिपतन श्टगदाय वर्तमान सारनाथ है, जहाँ भगवान्‌ ने धर्म॑चक्र प्रवेतन किया था । गया--गया मे भगवान्‌ बुद्ध ने सूचिलोस यक्ष के प्रइनों का उत्तर दिया था। प्राचीन गया चतमान साहवबगज माना जाता है । यहाँ से ६ मील दक्षिण बुद्धगया स्थित्त है । गयातीर्थ बुद्धकाल में स्नानतीर्थ के रूप में प्रसिद्ध था और यहाँ बहुत से जटिल रहा करते थे । दस्तिग्राम--यद्द घज्जी जनपद का एक आम था । भगवान्‌ बुद्ध वैशाली से कुशीनगर जाते इए हस्ति्रःम से होकर गुजरे थे । चतेमान समय में यह बिद्दार प्रान्त के दथुधा से ८ मीर पश्चिम क्षिचपुर कोरी के पास अवस्थित दै 1 आजकक उसके न्टवक्षेप को हाथीखारु कदा जाता है । इस्तिआाम का उग्गत गृ्टपति सघसेवर्को मे सवसे बदकेर था, जिसे बुद्ध ने अग्र की उपाधि दी थी । ˆ दखिदवसन--यदह कोय जनपद का एक म्म था । यहाँ भगवान्‌ घुद्ध गये थे । कोलिय लनपद्‌ की राजधानी रामभ्राम यी ओर यष्ट जनपद श्राक्य जनपद के पूर्वं तथ मल्ल जनपद के ए श्रिम दोनों के सध्य स्थित था | डहिमवन्त पदेश--रोशर, शाक्य, कोडिय, मल्ट भोर वलज्नी जनपदों के उत्तर में फैली पष्ट ही ्िमवन्त ग्रदेशा कहलाती हैं । इससें नेपाल के साथ हिमाख्य प्रदेश के सभी दक्षिणी प्रदेशा सस्मिकित है । इच्छानज्गल--कोशरु जनपद्‌ मे यष एक श्ाह्मण {गाम या । मगवानू ने दृच्छः से चास किया था 1 जन्तुग्राम--चाकिका प्रदेश के '्वाछिका पर्घत के पास जन्तुमाम था । पर विष्टार करते समय मे्धिय स्थविर जन्तुमाम में सिक्षाटन करने राये थे ही की के पाछिका पवेत् नदी के तीर जाकर विद्दार किया था । बद क्रिमिकाला करवाङगामक- यह मगध मे एक माम था1 यद्यो पर मौदरर्यायनं भाति इह थी । निगल वनसण्ड स्थविर को भष्टन्व की




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