चाणक्य नीति दर्पण | Chanakya Neeti Darpan
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand) ` ॐ तृतीयोऽध्यायः # , १७
कोकिलानां स्वरो श्प नारी रूपं प-
` तित्रतस्। विद्या सूपं रूपाणां क्षमा
` स्प तपास्वनाय् ॥ € ॥
ठीका--कोकिर्लोकी शोमा स्वर है। ख़ियों की शोभा
पतिंत्रत । कुरूपोंकी शॉमा विय्याहै।तपस्वियेंकी शो
भाक्तमाहे॥ ६. ॥!
त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्पार्थ
त्यजेत 1 ग्रामं जनपद्स्या् ग्रासाथं
एरथिवीं यनेत् ॥१०॥
टीका--लं के निमित्त एक को छोडदेना चाहिये।
भ्राम के हत॒ छंल का त्याग करना उचित है। देश के
दर्थ घ्ामका शौर अपनेश्चथं पृथिवी का अथौत् सं
.का त्यागही उचितहै ॥ ९०॥ ६ =
उमे नास्ति दारिव जपतो नास्त
पातकम् । मौनेन कलशे नास्त नास्ति
-जामस्ति मय्य् + ११ ॥ +
टीका--उपाय करने पर ददिता नहीं रहती ! जपने
' वालेको पाप नहीं रहता।पौन होनेसे कलह नही होता!
, जागनेवाले के निकट भय नहीं आता ॥ १९॥
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