गांधी - वध क्यों | Gandhi Vadh Kyun
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.3 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विभाजन के घाव श्पु के उपाधिकारी डिप्टी इस्स्पेटर जनरल आफ पुलिस की बोर से जिले के आरक्षी अधीक्षक पुलिस सुपरिटेडंट तपा संमागीय डी. आई. जी. को भेजा गया हैं । उसमें लिखा हैं कि दिनांक ६ जनवरी १९४८ को करायो में हिंदू सौर सिक्धों पर हमला हुआ घोर मुस्नलमानों ने उन पर कठोर अत्याचार किए । उन निर्वाततितों का एफ जरया ८५० हिंदुओं गत हूं । यह काठिपावाद में ओसा पटुन पर पहुंचा हैं और भी निर्वासित आनिवाले हूँ। उनमें सब स्तर के लोंग है । उनमें महाराष्ट्री य पं जावी सिघी काठियावाड़ी मारवाड़ी बादि सब प्रांतों के लोग हूँ। मिर्वासितों कों चाहिए. मुसलमानों का रकत ऐसा उस परिपत्रक में बदाया गया हैं । छेदक १२ ए २२ न्यायमूर्ति कपूर ने लिए संदर्भ और उनका दिल्ली की उन दिनों को अवस्था बा विवेचन पदापात करनेवाला है एक पक्षीय है प्रकार की आपत्ति कोई करे यह नहीं है । साघारणत महू कहा जाता है कि जिस प्रकार मुसलमानों मे हिडुआं का संद्वार किया उसी प्रकार हिंदुओं ने का किया । अतः फूरता के लिए दोनों ही उत्तरदायी है । विभाजन के पाप पर परदा डालने का बह एक छदुमी युक्तिवाद है। ऐसे उमय पक्ष की क्रूरता के उपरान्त हि्दुस्तान का जैसे का संते हो रहा होता तो उस मरसंहार का लेन-देन हो गया लौर शेप लेन-देन कुछ न रहा ऐसा कहा जा सकता था किन्तु विभाजन हाथ में लेने के छिए मूस्लिम लीग ने प्रकट रूप से नरसंदहार भर श्रत्याचार का कार्य चालू रता था । प्रतिकार हुमा वह विभाजन रोकने के लिए नहीं हुआ भपितु उवेरित हिंस्दुस्तान में ऐसे अत्याचारो को रोका जाए इस उद्देश्य से । दूसरी बात विभाजन की प्रक्रिया में छोगों का स्थानान्तरण उसी प्रमाण में हुआ होता तो रक्तपात का दोप एक ही जाति विशेष पर मे रखा जाता परन्तु बैसा न हुआ 1 हमारे पास संख्यान्यल और दोष होते हुए भी हमारे नेतागण विधिष्ट उपदेश के मोहनपाश में भावद्ध रहे और मुस्लिम आक्रमक रवैये के सामने उन्होंने सर शुकाया । हमारे नेतागण के व्यवहार को आइ में मुस्लिम संक्रमण से दिल्ली पर जो भाधात पहुंचे पढ़ी पृष्ठभूमि गाधी हत्या के विपय की खोज के संद्म में मभिप्रेत थी । इसलिए न्यायमूर्ति कपूर ने उस विपय से सम्बद्ध भाग मंकित किया है ऐसा मेरा विचार है ।
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