हिंदी गीतांजलि | Hindi Geetanjali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.96 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विराट गायन जे पे मेरे स्वामी / न जाने ठम केसे गाते हो. मै तो ब्ासचर्य से अवाकू होकर सदा यान से सुनता रहता हूँ. तुम्हार गान का श्काश सारे जगत को प्रकाशित करता है. तुम्हारे गान का प्राणवाथु लोक-लोकान्तर में दौड रहा है तुम्हारे गान की प्रकित्र घारा पथरीली रुकावंटों को काटती हुई वेग से चह रही है. मेरा हृदय तुम्हारे गान में सम्मिलित होने ची बडी रखता है परन्तु मय करने पर भी आवाज नहीं निकलती मैँ बोलना चाहता हूँ किन्तु वाणी गीत के रूप में प्रगट नहीं होती. में अपनी हार मान लेता हैँ. रे मेरे स्वामी / तुमने मेरे हृदय को अपने गान रूपी जाल के अनन्त छिट्रों का बैँधुच्चा बना लिया है.
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