संगीतों की दुनिया | Sangeeton Ki Duniya

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Sangeeton Ki Duniya  by श्री सीलकधर शास्त्री - Shri Silkadar Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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करता है, उसके प्रसुप्त धर्मभावों को जागृत करता है भर पाठक के जीवन-पथ को प्रस्त करता है । संगीत की दनियां' में वह्‌ काव्य-धारां प्रवाहित हौ रही 2 जिममें जीवन, जगत, साधना, उपासना, नंतिकता, सामा- जिकता की विविध लहरियां लहरा रही, जैसे दी पाठक की चेतना इसके तट पर पहुंचती है वैसे ही वह बरावर उसमे भ्राकण्ठ दब जाने में ही श्रानन्द की श्रनुझूति करती है । त यह मानवता का सौभाग्य है कि सं० २०३१ की दीपावली मे पच्चीसवीं महावीर निर्वाण शताव्दी का श्रारम्भ हो रहा है, इस अवसर पर भगवान्‌ महावीर के भ्रनन्य उपासक श्रपने-भ्रपते मनोभावों रौर साम्यं के श्रनुरूप उनके चरणों में अ्पने-श्रपने श्रद्धा-पृष्प अर्पित करने की तंयारियां कर रहे हैं। 'कविवर चन्दन इस तंपारी में सबसे श्रागे श्रा खड़े हुए हैं, उन्होंने पच्चीस संगीतों के माध्यम से भ्रपने चन्दन से महकते पच्चीस काव्य-कमल श्रपने इण्ठ देवता के चरणों में अर्पित कर अपनी लेखनी को सफल बनाया है । उनकी धर्म-चेतना ने इने पच्चीस काव्य-कमलों का चयन विविध जीवन-सरोवरों से किया है, वधमान महावीर, जिनदत्त का दान, पूनिया श्रावक इलायची कुमार जसे कथानक जेन साहित्य- सरोवरसे लिये गये हैं, राजा शुरपाल दन्तिल, चांपसी मेहता जैसे कथानकं इतिहास-सरोवरसे प्रहीत हैं । श्रनमोल हीरा, शान्ति की थाक्ति, एक.दिन का राजा, लकड़ह्ठारा, चार घेवर, तीन व्रनिए जसे कथानक लोक-साहित्य के महासर से प्राप्त किए गए है मरौर कुछ पैसे. भी काव्य्-कमल है जो कवि की -प्रतिभा-पुष्क- रिणी में विकसित हृए ह 1 पच्चीसवां . 'याचा-सुंगीत' जन-इतिहास {यास ]




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