धरनीदसजी का जीवन चरित्र | Dharnedasji Ka jeevan Charitra Sahit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चिताबनो गये लीला. थ
कबहूँ जाल जंजाल मच्छी घस्पानै ।
कबहु जन चेराते अगिन से जराव 1८)
से तोपे गढ़ावे गढ़ी के ढहाबे ।
कबहूँ बंद बेसी मवेसी ले आवे ॥९९॥
बड़े चाक चाखूठ इंटा पकाने ।
जड पाथर नकूसगीरी करावे परग
घरा धौरहूर घवल ऊंचे उठावे ।
तह जोरि जाऊ विखौना विदा ४२९१
तहाँ फूल फैले लगे तूल तकिया ।
दूरीची बरीची उडै स्टॉक किया ॥२२॥
सिपाही घनेरे खड़े सीख नाव ।
'किते सिच्छुका झँठ साभा जुनाव ॥२३॥
रिन साल मेढ़ा व इस्ती लड़ावे ।
नह नागदी नासि नाटिन नचान परद्श
खरी छे बजाने स्स जिय न. आव ।
` हरै घन बिराना घसारप्ं ठाद ॥२॥ :
कतेका भले जीव सूली चढ़ाते ।
महा मस्त ह मुड-माला चेंघाले 0२६0
जो हरि फी मगति जीव-दाया दिढ़ाले ।
करै ता की लिंदा नगीचा न आनं ५२७
बिलाका परास सनहि सनं विचारा)
जगत जेर मास जिवन धर हमारा प२८॥
` *प्हुलवान 1 †पतुरिथप । [घाँघसी 4
४
User Reviews
No Reviews | Add Yours...