भारतीय कहानियां | Bharatiya Kahaniyan

Bharatiya Kahaniyan by बालस्वरूप राही - Balsvrup Rahi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विर्लतों की देखते हुए इस सुझाव की सार्थकता असंदिग्च है। हम प्रवास करेंगे किं भविष्य में इस ओर ध्यान दे सकें । हमें प्रसन्नता है कि देश के कुदालतम अनुवादकों का सहयोग हमें मिल रहा है जो न केवल अपनी माषा के विदवस- सीथ मेज हैं बल्कि जिनकी हिन्दी मुहावरे पर भी काफ़ी अच्छी पकड़ है । जहाँ तक बन पड़ता है हम विवादों से बचने के लिए निरन्तर प्रयत्न शील रहते हैं। कुछ मित्रों ने जानना चाहा है कि क्या हमारा चयन-मण्डल स्थायी है। निवेदन है कि ऐसा नही है। अधिकतम बे विध्य बोर प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए था किसी चथयनकर्ता की अधिव्यस्तता की मंजूरी को मद्दे-नज़र रखते इुए हम चयन-मण्डल मे फेर-बदल कर लेते हैं। एक सुझाव यह आया है कि हम इन चयनिकाओ को अंग्रेज़ी में भी प्रकाशित करें ताकि देशी साहित्य की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ विदेशी पाठकों तक भी पहुंचें । यह कार्य अत्यंत समय-साध्य है और इसके लिए पुरा तंत्र तैयार करना होगा । यह आग्रह भी है कि इन्हे अन्य भारतीय भाषाओं में भी प्रकादित किया जाये । यदि अन्य माषाओ को प्रमुख सस्थाएं इस काय॑ में रुचि ले तो हम इस ओर अग्रसर होने का प्रयास कर सकते है। हम पिछले संकलनो को भूमिका मे कहते आये है और यहाँ फिर्‌ दोहरा देना चाहेंगे कि इन सकलनों मे आने वाली कहानियाँ वरष॑ विशेष मे प्रकाशित अपनी भाषा की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धियाँ ही है ऐसा हमारा दावा नहीं है। इन कहानियों को केवल इसी दृष्टि से पढ़ा भी नहीं जाना चाहिए । कहानियों के चयन को लेकर मतभेद होना स्वाभाविक है। क्या इसे मात्र एक सयोग माना जाये कि मतभेद अधिकतर हिन्दी कहानियों के चयन को लेकर ही उत्पन्न होता है।या यह मी हो सकता है कि हमारी गति मुख्यतः हिन्दी में प्रकाशित टी का- टिप्पणियो तक ही सीमित होने के कारण हमे इस मतभेद की जानकारी होती रहती है। फिर भी इतना तो है हो कि एकाध अपवाद को छोड़कर अन्य किसी भाषा के साहित्यकार अथवा समीक्षक ने अपनी माषा का समुचित प्रतिनिधित्व न होने की शिकायत हमसे नही की । बस्तुस्थिति जो भी हो हम तो केवल यह्टी कहना चाहेंगे कि मतभेद की गूंजाइश पूरी-पुरी है चाहे वह प्रकट किया जाये या नहीं । हमारे विचार से ऐसी चयनिकाओं की आवश्यकता एवं उपयोगिता इस सबके बावजूद बनी रहती है। इन रचनाओं को सर्वात्क्रृष्ट न मी माना जाये तब भी संभवत इस पर तो सददमत हुआ जा सकता है कि ये अपनी माषा की उल्लेखनीय रचनाएँ हैं और इन रचनाओं से समसामयिक मारतीय साहित्य की प्रमुख प्रवृुत्तियों विशेषताओं और सीमाओं -संभावनाओं से अवगत होने की सुविधा प्राप्त होती है। यह सुविधा भी कम महसव की नहीं है। इस घयनिका में संकलित कहानियाँ पढ़ते समय सबसे पहला एहसास तो संग




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