ऋग्वेद संहिता | Rigved Sanhita

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Rigved Sanhita by मोक्षमूलर - Mokshmoolar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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०१.०१. व° 9. | ॥ २॥ रिशा रू सं धियं धृताची साधंता ॥७॥ ऋते च्छ धो ण त त बृहत अआशाधे' ॥ ८४॥ कीं नौ | दधाते अपसं॥९॥४॥ युरऽभुजा चनस्यतं ॥१॥ अश्विना पुर ऽदंससा नरा शवींरः धिया धिष्ण्या वनतं गिरः ॥२॥ टसं युवाकवः सुताः नासत्या वृक्त5 बंहिंघ: आ यात॑ रूट ऽ वते नी° ॥३॥ इद्र सा याहि बि- भानो० सुताः इमे त्वा ऽयव॑ः अण्वींभिः तनां पूतासः ॥४॥ रट अऋा या हि धिया इषितः विप्र ऽजतः सुत ऽ वतः उप॑ जरद्याणि वाघतः ॥५॥ इद्र आ याहि तूतुजानः उप॑ ब्रह्माणि हरिऽवः सुते ट्धि्र नः चनः ॥६।५॥ आओमासः चष शिऽधृतः विर : झा गत टाश्यास दाषः सत ॥9॥ विश्व टे खं सं




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