मान पघ संग्रह अथवा व्यावहारिक आत्म ज्ञान प्रथम भाग | Man Pagh Sangrah Athva Vyavaharik Aatm Gyan Part 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
189
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पद्य
मान तेरे ग्रजहू अज्ञान रह्यौ गात
मानसिह या जगते मे छाछ दोहा
भार्नासद् करणो सौ कर दोहा
मानमिह् चण मतम घर दोहा
मानमिह सोरस् करी दोहा
भानसिह कव नक कटं दाहा
साधा कटो या ब्रहम कटो सवया
माण्डी है माल दुकान गान
मानमिहं सब जग फिरयो दोहा
मानरसिह दगा जगत में लादौ दोहा
मानसिह् दण जगत मे मनसो दोहा
मानसिह् समार में मनरी कुडलिया
मान कहे मित्रो सुनो मेरो दोहा
मान थकें संगरे झगड़े यह सव॑या
मारण दुस्तर घरी रे जोगिया गान
मानसि सुर गुण कटै दोहा
मानसिह या जगत मे दैत्यं दोहा
भान कहे मित्रो सूनौ मती दोटा
मानसिह् इण जगत मे कुण्डलिया
मानसिह ससार मे प्रजवं दोहा
मानेरसिह ससार मे सन्यासो कुण्ड
मान कहे रे नाथजी दोहा
मची मतलब की होरी गान
मान बसन्त सब ही दोहा
मि
मित्रौ मन पतिया मत खेलो यानं
मिध्या मैं तो भटक भटक गान
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मुखते तो सीधी कहे दोहा
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मे
मेरो तो शिव श्रविनाशी गान +.
मेरौ नाथ जागे सदा गानं १२
मेरं बल भ्रातम राम गान ५२
मं सेवक श्रपने को रे सन्तो गान ६०
मै मुडदा उण देश रा गान ६७
म मेरे रग भौीना गान ७२
मैं हूँ ग्रलबेला म्नि के मत गानं ७७
मेरा में नित्य हो हूं तो गान ८
मे कब तक भूल बताऊँं गानं ६०
मेरी कही न कीजें मित्रो गान... १०२
मो
मो मन एक प्रजब शनं भानं ६
मोहन वाह वाद रास गान १३
यं
या ठग की कया कहूँ नाम गान १२
थार मिले विन यारी कमी गगन ६६
यहाँ ते तो ज्ञानी ग्रौर मूं सवया ७१
याको कोईन जाने रं यान ७५
ये मुख ते वार्ता करे. दोहाय १०८
यही काज मन्दिर किये दोहा. ११५
यह प्रतिमा लक्षण नहीं दोहा. ११५
याते तो तुरक ही भला कुडलिया १३५
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रूप है झनूप वेय गान ६
रास ह् विनास करत धरत केचित्त १६
राम विलास करे सरे यद् सर्वया १६
रास के रग में ढग करे स्वेया १७
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