क्याशिल्प शूद्रकर्म्म है | Kyashilp Shudrakarmm Hai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
127
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ऋ मि ङि ण आ कि नुक कामि = भनी
एतेषा मेव वणां नां
शुश्रपा मन सूयया ॥
मन॒स्खति अध्याय १ श्छोक ९!
अथः- (प्रभः) परमश्वर ने ( शृद्रस्य) जा
विया हीन जिस का पढ़ने से भी विद्या
आसक दार्गर से पष्ट सेवा में कुशल दो उस
रा = क ४ ४9
शूद्रके खयि [ एतेषामेव वणानाम् ] इन
ब्रह्मण क्षत्रिय ओर वेशय तीनों वणो की
( अनसयया ) निन्दा स रहित प्रीति से
ग हः ॥
सवा करना (एक मेव कमं ) यदी एक
कम ( समार्दात् ? करन कीआह्नादी है
ऋ ५ # कह. ५ ¢
ये मृखलवादे गणं ८.7 सेवा आदि कम
जिस व्यक्ति में हों वह शुद्र और गृद्रा है ।
संस्कार परिधि पृष्ठ २१६
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