यजुर्वेद भाष्ये | Yajuved Bhasye Ac.1797
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
50 MB
कुल पष्ठ :
1352
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)€ # ६५३
धण्समधेय मायचेणं रथन्तरं डहदगायत्नवेत्तानि
स्वाहां ॥ ८ ॥
इमम् । नः । ठेव । सवितः । यज्ञम् । प्र । नय।
देवाव्यमितिं देवऽन्रव्यम्। सखिविडमिति सखि-
ऽविदम् । सवानेतमितिं सच्राऽजित॑म् । धननि-
तमिति धन्ऽजित॑म् । स्वजिर्नमिति स्व'ऽनि-
तम् ऋचा । स्तोम॑म् | सम् । त्रेय । गाय.
त्रेए। रथन्तरभितिं रथम्ऽतरम् । दहत् ! गायन
व॑त्तैनीतिं गाय ऽवत्तेनि । स्वाह ॥ ८ ॥
पदा्थंः-( इमम् ) उक्तं वदयमाएं च ( नः ) ्रस्माक-
म् ( देव ) सव्यकामनाप्रद् ( सवितः ) ऋअन्तर्यामिरूपेण प्रेरक
( यज्ञम ) विद्याधमेसगमयितारम् ( प्र ) ( नय ) प्रापय (देवा-
व्यम् ) देवान् दिव्यान् विदुषो गुणान् वाऽबन्तियेन् स देवावी-
स्तम् । अ्ोणादिक हप्रययः । ( सखिविदप्र् ) सखीन् सुहृदो
विन्दति येन तमू ( सभ्राजितम् ) सन्ना सद्यं जयद्युत्कषेति येन
तम् ( घनजितम् ) धनं जयल्युत्कषेति येन तम् (स्वार्जतम्) स्वः
सुखं जयद्य॒त्कषैति येन तम् ( ऋचा ) ऋ्ट्रवेदेन (स्तोमम्) स्तृयते
यस्तम् (सम्) ( ऋअपैय ) चपेय (गायत्रेण) गायन्नप्रभृति्वन्दसेब
( रथन्तर ) ररम णीभेपोनेस्तरन्ति येन तत् ( गायत्रवर्तनि )
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