रसतरगीनी | Rasatarangini
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)|} ॐ |]
मेधासि देवि विदिताखिलक्ास्मरसाराक
(द° स०, ४।११)
भूमिका
(१) !रसतरगिरी' का रचयिता
भारतीय साहित्यशास्त्र में एक परम्परा के श्रनुसार इस ग्रन्थ के लेखक का
ताम भानुदत्त स्वीकार किया गया है किन्तु भानुदत्त की श्रनेक कृतियों में यह नाम
कई रूपों में विभिन्न प्रकार से प्रयुक्त हु्राहै। कुल मिलाकर इसनामकेनजो
रूप प्रयुक्त हुए हैं, वे इस प्रकार हैं--भानुदत्त, भानुदत्त मिश्र, भाचु भ्रौर भानु-
मिश्र । इनमें 'भानुदत्त' श्रौर 'भानुदत्त मिश्र” का प्रयोग क्रमशः 'रसमंजरी' श्रौर
“रसतरंगिणी' की पुष्पिकाओं में हुआ है । “भाव का प्रयोग इन दोनों प्रर
के कुछ इलोकों में भानुदत्त ने स्वयं ही किया है ।* 'भानुमिश्र' इनके व्याख्या-
ताथ्रों का दिया हुप्रा नाम है।* इन सभी रूपों में 'भानुदत्त' सोधा-सा व्यवहार
विशेष संदर्भ के लिए श्रीद्दरिक्ृष्ण निबन्ध भवन, बनारस द्वारा प्रकाशित “रसमंजरी' के
संबत् २००८ के संस्करण श्रोर खेमराज श्रीक्रष्णदास, नम्बर दारा प्रकाशितं “रसतरंगिणी”
वे सम्वत् १९७१ के संस्करण का भध्ययन किया जा सकेता दै । देखिए-
भानुदत--इति म॑थिलश्रोननियक्ुलतिलकमहाकविमानुदत्तविर चिता रसमश्नरी सम्पूणं ।
भानुदत्त मिश्र-इति श्रौभानुदत्तमिश्रविरयितायां रसतरमिण्यां प्रकीणंकं नामा्ट-
मस्तरगः।
भानु-- (छ) विद्रत्ुलमनोमृ गरसमग्यास्तंगहे तवे ।
एषा प्रकाश्यते श्रीमदभानुनारसमंजरी ।। (रसमजरी, २)
(श्रा) भारत्याः शास््रकान्तारथान्तायाः शैत्यकार्णी । `
करियते भानुना भूरिरसा रसतरंगिणी ॥ (रसतरंगिणी, १।२) ` '
भानुमिश्व- (अर) इह कवि सहदयास्तिकशिरोमणिः श्रीमान् भानुमिश्रः स्मुचितमन्त.
रायशान्तये शिवात्मकं मंगलं वस्तु “°'*“|' ( रसमंजरी की “मुरमिः ग्या स्या में पंडित
बदरीनाथ शमौ, पृष्ठ १) ।
(झा) “श्लोका यह दै किं जव तक स्थं की कन्या काचघटीवत् श्रनिवननीया
प्रद् मतं अलयुक्त कालिन्दी पृथिवी परदहैतब तक्म जो भानुभिश्न उसकी य
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