महावीरोदय | Mahaveerodaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(9) गवान ऋषभदेव जैन धर्म की गंगोत्री टै तो भअ महावीर स्वामी गंगासागर । गगा अपने उद्गम स्थल (गंगोत्री) हिमालय से एक पतली लकीर के रूप मे यात्रा शुरु करती है लेकिन जैसे-जैसे वह आगे सरकती है उसमे कई धाराए आकर मिलती जाती हैं और वह विशाल होती चली जाती है तथा आगे चलकर गंगासागर का रूप धारण कर लेती है। जैन धर्म की गंगा भगवान ऋषभदेव से शुरू होती है। अजितनाथ से तीर्थकर पार्श्वनाथ आदि बाईस तीर्थकरों के धर्म-घाटों से गुजरती हुई महावीर के घाट तक पहुचते-पहुचते गंगासागर के विराट रूप को धारण कर लेती है। महावीर जैन धर्म की भव्य इमारत के भव्य कलश हैं तो ऋषभदेव नींव हैं। हम कलश को पूजं किन्तु नीव के पत्थर को न भूलें । ई




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