हम्मीर महाकाव्य | Hammir Mahakavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1000 KB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यै राजपूत ज्याँरी गरदन
वटणे कटगी पण कुकी नहीं ।
बद्दं भी दमण रे श्रग्े
रजपूती पगडी दुवी नहीं 1
श्रं रजप्ूतौ मही हम्मीर
राजा हयो श्रव नामी हं।
जो भ्राज सुणावू ह थाने
~ वी री ही श्रमर वहाणी हूँ।
श्रं प्ररे गनपूतां माही
वचां ताण मरज्यावभियो 1
नहीं होयो कोई भी सुर्वीर
श्रेया को वचन-निभावणियो।
, जौ भारत री सस्कृति, धरम
कुछ री मरजादा र ताँगी।
खुद ज्यान सुंटा वैष ग्रपणी
सरणागत री रच्छया नाणी ।
वी राजस्थानी मौरद ने
श्रावोसारामित नमणक्रा।
गाया इं धनी र वेदै
हम्मीर-हठी री श्रवण क्रा!
हैं भ्राज जरूरत षणी देस रं
ज्वानां नै वनलावण री!
इ वीर धया र॑ वरटानं
यीरारौक्या सृणाव्ग री)
हम्मीर महाकाव्य
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