भूरसुंदरी ज्ञान प्रकाश | Bhoorsundari Gyan Prakash
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
879 KB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मूर सुन्दरी ज्ञान(यकाश
र< प्रथम परिच्छेद ॐ
म मम
पञ्च परमेष्छि नमस्कार ।
रहत्, सिद्ध, प्राचार्य, उपाभ्याय श्र साधु, इन को
परम, पुदू पर स्थित दने फे कार्ण परमेष्ठी कहते दै, एन
को मोर करने तथा नका ध्यान क्रे से लौकिकः
श्ौर पारलीफिक सब दी सुख प्राप्त होते हैं, इसमें लेश
मात्र भी सन्देद नहीं है, इन को नमस्कार करने का मुण्य
मस्त्र छीनवकार मन्त्र निस्नलिखित है --
नमो श्ररिदन्ताणु, नमो सिद्धाण, नमो श्रायरियाणु,
नमो उवञ्छायाणं, नमो लोप सव्व साह, पसो पच
णुके, सव्व पावप्यणासणो, मगलाण च सन्येखि, पटम्
हवई मगल ॥ १॥
इस मन््र का स्ते मे यद श्रं है कि अर्ह्त षो
नमस्कार है, सिद्धां को नमस्कार है, श्राचायों को
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