भक्ति की चेतावनी | Bhakti Ki Chetawani

Bhakti Ki Chetawani by आनंद धन - Aanand Dhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जा सकता । इन बातों से यह घटता-बढ़ता नहीं, यह तो सूय के प्रकाश की तरह ज्यों का त्यों बना रहता है । जो इस प्रकाश तले बेठता है उसी को यह प्रकाशित करता रहता है । अतः यदि तू आज अकेला है तो भी तू बढ़ता चल । यदि तू प्रकाश की एक किरण भी पा सका तो वह प्रकाश कल तुझे प्रकाश पुङ्ख बना देगा एवं उसी प्रकाश से एक दिन तु सबको प्रकाश देने योग्यः बन जायेगा । ८ तेरा ज्ञान कितनों की जान, जरा पषहखान | मनुष्य धन-जन की कमी से कष्ट मेँ नहीं, वह अज्ञान से धिरा हुआ है इम लिये कष्ट म है) धन-जन मिल सकते हैँ फिर भी अज्ञान यदि बना हुआ है तो कष्ट कभी भिटने वाला नहीं । अज्ञान, पुस्तक पद्‌ कर नहीं हटाया जा सकता क्योंकि पुस्तकें केवल संकेत देती हैं; उलझनें नहीं सुलझा सकतीं । अज्ञान अन्धकार को मिटाने के लिए प्रत्यक्ष ऐसा आधार चाहिये जो ज्ञान से आलोकित हो । ऐ. प्राणी 1 यदि तेरे हृदय में सत्य को पाने की लालसा है तो तु उसे कभी न नकार, प्राणपण से पाने की इच्छा रख क्योंकि हृदय में ईश्वर को पाने की लालसा का उदय होना अज्ञात कृपा का प्रतीक है । ज्ञात के साथ से जब तु अज्ञात को जान सकेगा तो तेरी यह जानकारी केवल तेरे लिये लाभकारी नहीं होगी, न जाने कितनों को जान बख्शने वाली होंगी । अन्यथा सव कुछ पाकर भी. व्यक्ति यदि इंश्वर से जुड़ा हुआ नहीं; ज्ञान से आलोकित नहीं तो वह केवल शरीर का वोझ ढोता रहेगा और जीवित ही मृतक समान रहेगा । ९ मुँह न मोड़, दिल न तोड़, लगा होड़ जीत ही जीत है । ऐ प्राणी ! यदि तू ईश्वर से विभुख होकर चलेगा तो तेरा दिल हमेशा छुटपटाता रहेगा फिर भी तु इस तथ्य को नहीं जान पायेगा कि यह छुटपटाहट क्यों है--ऐसे में सब कुछ पाकर भी तृ बुझा-बुझा सा रहेगा । देख, तू दिल की उपेक्षा न कर; दिल की उपेक्षा से तेरा जीवन भार बन जायेगा । हमेशा जिन्दादिल वने रहने के लिये वृ ईश्वर की शरण ग्रहण कर तथा तेजी से उसकी ओर बढ़ता चल क्योंकि तुने यह जिन्दगी इश्वर-मिलन के लिये पायी है। ईश्वर को पाकर तेरा हृदय शुद्ध होता चला जायेगा परिणाम तू दिल की छोटी से छोटी भावना की भी कद्र कर पायेगा--यह तेरी जीत कीं बाजी होगी । अन्यथा व्यवहार का बोझ टढोते-ढोते न हारा-थका मृत्यु-सुख मैं समा जायेगा ! ५




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