एक वृत्त और | Ek Vrat Aur
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
908 KB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्यासों से परिचय प्राप्त कर लिया। उनक
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक वृत्तं आ र
बेरे मे पूछा तो उसे लगा जेसे वह कं रहए हो-ग्रव उठे यदय से.
नही, पानी ला.
पानी का गिलास झा गया पर उसने पिया नहीं. चाय का बिल
था बीस पैसे का. मदन ने प्लेट मे पच्चीस पैसे रख दिये तो _बैंरे
को कुछ थोड़ा झाइ्चयें हुमा. माज महीनों बाद मदन ने टिप
के पांच पैसे दिये थे, डे
रेस्तरां से बाहर श्राया तो उसका ध्यान सामने कौ विल्डिग मे श्रनिल
के कमरे की भ्रोर चला गया जहां वह पिछले छः महीनों से टिका हुमा
है. कमरा बहुत छोटा है पर उत दोनो के लिए काफी है... कमरे की
खिड़की खुली देखी तो श्राइचयं हुआ क्योकि प्रनिल भाज सवेरे हो
निकल गया था श्रतः वह स्वयं दिको बन्द करके रेस्तरा तक श्राया
था. उसने जल्दी से कदम बढ़ाए श्रौर कमरे तक पहुँच गया.
श्रे प्रनिल ! वया हुआ ? तुम वापस कँसे श्रा गए? _
“ऐसे ही -सुस्ती मरी झावाज मे श्रनिल ने कहा श्रोर एक भोर बिछी
खटियां पर लेट गया.
मदन ने देखा उसके चेहरे पर थकान की रेखाएं उभरती जा रही है...
उसने यह् पता लगाने के लिए कि कटौ उसे बुखार तो नही है, श्रनिलः
के हाथ को दयुम्ना. मचमुच उसका वदन तप रहा चा. ए
ने तुम्हे कटा था भ्राज बाहर मत जागो. तुम्हे कल रात से ही
गखार टै.
अनिल बिना उत्तर दिये सेटा रहा. सिगरेट जलाई श्रौर धुएं के गवार
छोड़ने लगा, फिर उसने एक-एक करके कई सिंगरेटें जलाईं श्रौर
हव तक फू बता रहा जब तक कमरा घुए से नहीं मर गया.
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