शताब्दियों के संत गुरु नानक | Shatabdiyon Ke Sant Guru Nanak

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : शताब्दियों के संत  गुरु नानक  - Shatabdiyon Ke Sant Guru Nanak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भवानी शंकर व्यास 'विनोद' - Bhawani Shankar Vyaas 'Vinod'

Add Infomation AboutBhawani Shankar VyaasVinod'

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
2 १५ दक्षता प्राप्त करे । व उनके उदार व्यवहार, दानशीलता एवं पीड़ितों के प्रति सहानुभूति से परिचित थे श्रतः श्रपनी इच्छा के मार्ग में श्राने वाली कठिनाइयों का. उन्हें पूर्ण ज्ञान था फिर भौ पू फ लिए यह खतरा उठाना उन्होंने श्रे यप्कर माना । नानक को पहले गायें चराने का कार्य दिया गया पर जंगल में श्रन्य बालकों को लेकर बे हरि चर्चा करने लगे तथा गायों का ध्यान रखना छोड़ दिया । स्वाभाविक था कि लोग उलाहना देते । नानक फी उदासी, चिन्तन एवं वैराग्य एत्ति सै पिता का घव- राना श्रावदयक धा भ्रतः उन्दने निदान के लिए वय को बुलाया । व्याधि शारीरिक नहीं श्रात्मिक थी; बंद्य के पास ऐसी व्याधि का निदान हो ही केसे सकता था ? नानक ने अपनी दा के सम्बन्ध में बंध को जो बातें बताई तथा ईश्वरीय ज्ञान से उन्हें जिस तरह जोड़ा, वे स्वयं यह बताने के लिए पर्याप्त थी कि उनके मन में कितनी श्रगाथ वेदना एवं नन्त पीढ़ा है । उदासी एवं सांसारिकता से भ्नास्था का यह्‌ कम नानक के जीवन में मृत्यु पर्यन्त चलता रहा। वे गृहस्थ धर्म में रहते हुए भी उन समस्त सामाजिक लिप्सामों से मुक्त थे जिनसे साधारण सांसा- कि प्राणी ग्रस्त हो जाते हैं। उन्होंने भपने जीवनयापन के उदाहरण से स्पप्ट कर दिया कि एकः गृहस्थी भो उष्चकोरि का भक्त एवं समाज-सुधारक हो सकता है तथा भादर्श जीवन के लिए सन्यास प्रथवा येराग्य ही मात्र विकल्प नहीं वन सकते । महानता हे ईपदरोय दाक्ति का कुछ न बुछ सम्बन्ध होता ही है--बचपन में गुर नानक ने कुछ ऐसे भसम्भव कार्य किए जो भमतकारों शी थी में प्रति ह! एक किसान दवाय इनकी शिकायत को गई रि उनकी गायो ने उसके चेत को चर लिया सपा फसलों को झेतिं पहुँचाई । गुरु नानक ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि फसलें यपावद्‌ हैं तथा सेत हरा-मरा है। देखने पर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now