गल्प संसार माला | Galp Sansaar Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कन्या-पितृत्व
न ~ ^^ ~~~ ~-~-~-~-~--~-~--~-~--~--~-----~~~--~~~-~~---~-- ~ ना
मधी ही सुश हुए और न जमाई ही । दीपावली ध्रादि के वक्त निमच्रण
[जने पर भी दामाद न श्राये । मेरी भेजी हुई चीजों की पहुँच तक
उन्होंने नहीं लिखी । एक यार मे समधी के यहाँ गया था।
[के वहाँ जो. मास-सर्यादाएँ मिली, भगवान न करे, वह मेरे
पत-जनस के वैरी को भी मिले । लड्पी सयानी हई । पाँच
है रुपए सर्च कर गौने के लिए इतजाम किया गया । ऐन
गैके पर, जब पुरोहित महाराज गर्भाधान का मच जप रहे थे,
पमधिन ने लड़के को उपदेश दिया--उये वेय ! छोट दौ ठम
इनको 1 मे किसी दुसरी लडकी से तुम्दारा व्याह करारजेगी । बात यद
थी कि मेरे दिये हुए वत॑न-भाँडे ध्रादि से समधिन को सन्तोपन ह्या
और उन्होंने मुक्त बहुत-कुछ खरी-खोटी सुनाई । लड़का वी० ए० पास
था । मने समभा, बुद्धिमान् दोगा समाने पर मान जायगा}
लेकिन यड देर तक श्रारज-मिन्नत करने पर भी कुछ फायदा न हुआ ।
ध्नाभ्िर सेठ के पास से दुने ब्याज पर ५००) का कर्ज लिया 'और तब
कही जाकर समधिन का दिल ठडा हुआ । यह सो हुदै बडी बेटी
की वात ।
फिर दूसरी पत्नी की पहली वेटी का विवाह करना था । मेरी
वेटियाँ तभी सुन्दर हैं । छाप रमणी को ही दृष्टान््त के लिए ले लीजिये ।
मेरी पेन्शन तो कुटडम्म के लिए भी काफी नहीं थी । पर ये सब याते
सुनता कौन है १ ९५.०) पर एक लड़के से शादी पक्की हुई । इससे
कम दाम के लड़के देवीजी को भ्च्छे न लगें । 'छाप तो मेरे पुन्न-जैसे
हैं | आपसे कहने में लाज क्या है ? इतने पर भी शगिलटः के नकली
गरप-ससार-माला 3 { १३
User Reviews
No Reviews | Add Yours...