गल्प संसार माला | Galp Sansaar Mala

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Galp Sansaar Mala  by श्रीपत राय -Shripat Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कन्या-पितृत्व न ~ ^^ ~~~ ~-~-~-~-~--~-~--~-~--~--~-----~~~--~~~-~~---~-- ~ ना मधी ही सुश हुए और न जमाई ही । दीपावली ध्रादि के वक्त निमच्रण [जने पर भी दामाद न श्राये । मेरी भेजी हुई चीजों की पहुँच तक उन्होंने नहीं लिखी । एक यार मे समधी के यहाँ गया था। [के वहाँ जो. मास-सर्यादाएँ मिली, भगवान न करे, वह मेरे पत-जनस के वैरी को भी मिले । लड्पी सयानी हई । पाँच है रुपए सर्च कर गौने के लिए इतजाम किया गया । ऐन गैके पर, जब पुरोहित महाराज गर्भाधान का मच जप रहे थे, पमधिन ने लड़के को उपदेश दिया--उये वेय ! छोट दौ ठम इनको 1 मे किसी दुसरी लडकी से तुम्दारा व्याह करारजेगी । बात यद थी कि मेरे दिये हुए वत॑न-भाँडे ध्रादि से समधिन को सन्तोपन ह्या और उन्होंने मुक्त बहुत-कुछ खरी-खोटी सुनाई । लड़का वी० ए० पास था । मने समभा, बुद्धिमान्‌ दोगा समाने पर मान जायगा} लेकिन यड देर तक श्रारज-मिन्नत करने पर भी कुछ फायदा न हुआ । ध्नाभ्िर सेठ के पास से दुने ब्याज पर ५००) का कर्ज लिया 'और तब कही जाकर समधिन का दिल ठडा हुआ । यह सो हुदै बडी बेटी की वात । फिर दूसरी पत्नी की पहली वेटी का विवाह करना था । मेरी वेटियाँ तभी सुन्दर हैं । छाप रमणी को ही दृष्टान्‍्त के लिए ले लीजिये । मेरी पेन्शन तो कुटडम्म के लिए भी काफी नहीं थी । पर ये सब याते सुनता कौन है १ ९५.०) पर एक लड़के से शादी पक्की हुई । इससे कम दाम के लड़के देवीजी को भ्च्छे न लगें । 'छाप तो मेरे पुन्न-जैसे हैं | आपसे कहने में लाज क्या है ? इतने पर भी शगिलटः के नकली गरप-ससार-माला 3 { १३




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