शिक्षक शिक्षण एवं मनोविज्ञान | Shikshak Shikshan Evam Manovigyan

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Shikshak Shikshan Evam Manovigyan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शिकन्ना-मनीविज्ञान की प्रकृति, विस्तार, सीमाएँ तया विधियाँ | १६ शिक्षा कानया अर्धः आधुनिक वाल में 'शिक्षा' का तातययं उपदेश या सूचना? देना नहीं माना जाता, मौर मे काल्पनिक सुदूर भविष्यो ध्यान मे रखकर ही वालक की शिक्षा दी जाती दै । साज दिक्षा का उदटेदयः बालक के यतमान का निर्माण करना है, बालक के जीवन की प्रत्येक अवस्था में उसके अभिवद्धनर और विवारा* में सहायता करना है। “शिक्षा सामाजिक प्रक्रिया की एक स्थिति है, जिसका उदेश्य समाज क सदस्यो को आजीवन अपने वर्ग मे रहने के योग्य बनाना है।” आज दिक्षा का अर्थ कठिन परिश्रम करने के रूपमे नही दिया जाता, शिक्षा प्रहण करना तो एक आनग्दपूर्ण भरक्िया सममी जाती दै । वालक नई वस्तुओ को सीखने मे आनन्दानुमव करता दै! शि प्राप्त करने मे आनन्द कौ इस अभिदृत्ति का दोना परम आवश्यक है । दिक्षाकीभरक्रिया° मे वालक अव एक सक्रिय कार्यकर्ता माना जाता है । पहले इसका स्यान एक निथ्यिय श्रोता के रुप में था । किम्तु यह शिक्षा-प्रणाली दोपपूर्ण थी । आज विद्यार्थी को बहुत-सी वातें सीखनी होती हैं । अध्यापक तो एक सहायक जौर पथ-प्रदर्शक के रुप में होता है, वह नियम धनाने वाली मशीन नहीं होता । अध्यापक था व्यवहार वालवों के प्रति रस से होकर मित्र की तरह मृदुल भौर सदानृतं होता है । अध्यापक का म्तव्य बालकों के सामने ऐसी समस्याओं को प्रस्तुत करना है, जिनके हल करने में बालक सक्रिय बना रहता है और आनन्द प्राप्त करता है। शिक्षा बालक को नये-तये अनुभवों से अवगत कराती है तथा वातावरण से सामजस्य स्थापित करने में सहायता देती है। शिक्षा €वभाव से ही गतिशील है तथा 'सीखने'र आदि क्रियो मे बालकं ढी ज्ञानाभिदृद्धि करती है । आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य वालक के व्यक्तित्व का संतुलित विकास करना है । पाठशाला भर अध्यापक का कार्य ऐगे अनुकूल वातावरण को उपस्थित करना है जहाँ बालक व्यक्तित्व का विकास स्वतन्त और पूर्ण रुप से हो सके । किसी प्रकार का भी अवदमन” न हो, जिससे बालक में भावना-प्रन्वियाँ न बन सकें। यह है शिक्षा छा नया र्थ, किन्तु यह्‌ नई व्यास्या मनोविज्ञान के ज्ञान पर ही निर्भर है। अत शिक्षा-मनोदिज्ञान व्ह मनोवेज्ञानिक ज्ञानं है जो शिक्षा सम्बन्धी समस्पाओ का विवेचन, दिश्लेषण भोर समाधान प्रस्तुत करता है । पिक्षा को नई ध्याइ्या मनोविज्ञान के ज्ञात पर कहाँ तके निर्भर है ?* र०वी दाताब्दी में मनोविज्ञान का गहन अध्ययन हुआ । इसी गहन अध्ययन और मनोविज्ञान के विस्तृत ज्ञान के आधार पर शिक्षा की भी नई व्यास्या की गई, 1. तौ ग्ण ष्वा त स्तिएट््िंता 2 ऋरिपारधमा, 3. (ण. 4. एलश्लककालाौ 5. &{0णतट. 6. 27०८658 9 ८0४८० जा. 4. त्राण 8. एक्ल्डडाणा ५. पठ फण्वलाठ ल0पट्ाण त रवप 33 वे दा




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