हथियार और कलम | Hatiyar Aur Kalam

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
14 MB
                  कुल पष्ठ :  
352
                  श्रेणी :  
  हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |  
                यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं  
              लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4 चम्बल घाटी से नागालैंड तक
मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी और बूढ़ी स्त्री के हाथ-पैर पकड़ झुला-झुलाकर
उसकी पीठ को जलती आग पर जला डाला । जब हम वहां पहुंचे तो वह एक कमरे में
खाट पर बेहोश पड़ी थी और उसका शरीर चादर से ढका हुआ था । जलने के कारण
उसके शरीर की खाल कई स्थानों पर छिल गयी थी और उस पर मविंखयां भिन-भिना रही
थीं । मैने सवसे एहते उसे तुरत एक वैलगाड़ी से उपचार के लिए भिजवाया । घटनास्थल
पर हम लोग एक घण्टा रुके । इस दौरान डाकुओं के सफाये के लिए विचार-विमर्श करने
के साथ-साथ थानाध्यक्ष बण्डा को प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही करने के लिए
समझाते भी रहे । थानाध्यक्ष त्यागी जी ने मुझसे अनुरोध किया कि त्वरित कार्यवाही हेतु उन्हें
अविलम्ब एक टुकड़ी पी.ए.सी. उपलब्ध करा दी जाय । मैने उन्हें आश्वासन दिया कि
उनकी मांग पूरी कर दी जायेगी ! इस बीच गांव के लोग कण्डे की आंच पर हांडी में पका
हुआ मटमैले रंग का मलाईदार दूध हम लोगों के पीने के लिए ले आये थे । यद्यपि उस
समय हम सभी लोग भूखे थे परन्तु घटनास्थल की परिस्थितियों को देखकर कुछ भी खाने
की इच्छा नहीं हो रही थी । लेकिन गांव वालों के लगातार आग्रह पर हम लोगों को उनका
लाया हुआ दूध पीना पड़ा ।
मुझे जली हुई बुढ़िया की चिन्ता लगी थी । अतः घटनास्थल की कार्यवाही समाप्त
कर हम लोग उसे देखने सीधे अस्पताल पहुंचे । बुढ़िया को गांव वाले बिना इलाज वापस
ले जा रहे थे । कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि अस्पताल के डाक्टर साहब इलाज के
लिए १०० रुपया मांग रहे है, जिसे देने मे वे असमर्थ थे । मैने उन्हें वहीं रुकने को कहा
ओर चन्दोला जी के साथ अस्पताल के अन्दर गवा । अस्पताल के अहाते में पूरी बांह का
रंगीन स्वेटर पहने एक नौजवान खडा था । मैने उससे पूछा कि क्या वहीं इस अस्पताल
का डाक्टर है? जब उसने हां  कहा तो मैने अपना नाम व पद बताकर पूछा कि डकती
की घटना में पूरी तरह घायल ओर जली वुदिया का इलाज क्यों नहीं किया गया । डाक्टर
ने बड़े उपेक्षित भाव से उत्तर दिया कि उसे लाने वाले लोग दी उसका इलाज नहीं करवाना
चाहते है, तो मै क्या कर सकता हूँ? मैने डाक्टर से पुनः प्रश्न किया कि यदि गांव वालों
को बुढ़िया का इलाज न कराना होता तो वह उसे ऐसी दशा में बैलगाड़ी पर क्यों
लाते ? परन्तु डाक्टर ने मेरी बातों पर ध्यान न देते हुए कहा, यह सब उसे बताने की
जरूरत नहीं है । उसका उत्तर सुनकर मै आपे से बाहर हो गया । मैने उससे पूछा यदि वह
बुढ़िया उसकी माँ होती, तब भी क्या उससे ऐसा ही व्यवहार करते । फिर डाक्टर को
डांटते हुये कहा कि जब हथकड़ी लगा थाने तक घसीट कर ले जाया जायेगा, तब उसे पत्ता
चलेगा कि गरीबों और पीड़ितों से पैसा मांगना और उन्हें सताना क्या होता है । इतना सुनते
ही वह डर गया और मुझसे माफी मांगने लगा । इस पर हालांकि मैने उसे छोड़ तो दिया
 
					
 
					
User Reviews
No Reviews | Add Yours...