ग्रामशाला ग्रामज्ञान | Gramshala Gramgyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रामशाक्षा प्रामज्ञाय
इसे बनायें इसे सये
बढ़िया पढ़िपा घास उगायें |
हन पर रोज खरहरा दोगा
सेवा का प्रत मेरा दोगा।
गठश्ाठा को साफ फरूंगा
मू धृष नरि मार करूंगा ।
रोज करूंगा रोज करूंगा
बड़े सबरे मोर करंगा।
ग्या मां इख से सोयेगी
खूब शप्र मह दुमा एरगी
मेरी पढ़ाई खूब 'चछेगी ।
मेरी फुलवाढ़ी खूब भड़गी ।
इम सब रोख नदहात र
गपा भी रोज नहानी होगी ।
इम समर रा्ामद्याहें तो
ह मां गहया-रानी दगी।
गठ माषा सताप इने
पुन्य शो प्राप श्नेय।
स अन 9
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