सुधारणा और प्रगति | Sudharana Or Pragati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
336
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विस्तृत अनुक्रमणिका
नन्त
प्रथम परिच्छेद रमाण चिकित्सा |
प्रकरण पहला--इतिहास।
अुधारणाकि तत्व जाननेके प्रमाण की आवश्यकता-प्रमाण शब्दका अर्थ-इति-
हवस प्रमाण-इतिहासका वदादरण इृषटिसे मदत्व-गतकाऊका विदंगृष्टितते अवलो-
कन-इतिहासवादके दो पक्ष-पदिछा वर्णनात्मक विवेचनात्मक-दोनोमेंही
ध्येयकी खुननेकी सामर्थ्य नहीं दै-ध्येय दो प्रकार के होते हैं, व्यक्तिके व समा-
जके-तत्कालीन परिस्थितिके श्ञानकी आवश्यकता-क्या विवेचनात्मक पक्ष परि-
स्थिति का प्रथकरण करके ऐतिहासिक सिद्धान्त स्थापित करता है “-नहीं परि-
स्थितिके वर्ह षतैमामकाङक्षा भ्रान आवश्यक दै-स्पेन्सरका उत्कान्तितत्व
(इतिहासा ख्य काय वर्तमानकाले सिद्धान्तोके सवधम ठदाद्रण चय,
स्थित करना है।
प्रकरण दूसरा-आधिमौतिकशासर ।
आधिभीतिक प्रमाणपक्ष-आसेपकथन-पंचभौतिक सष्टि परका स्वामित्व दी
सुधारणा है--इस बिचारपद्धतिका इतिहास--लाढ बेकन--मूयोदर्नकरौ उपपत्ति
>-उलकान्तिबाद--इस श्रमाणका परीक्षण--उससे भन, बुद्धिका खोज रूगने
हब अदकक््यता---यह प्रमाण प्राणोंका उद्गम समझनेमें असमर्थ है--सर ओछिल््र
मत--स्युडविग बुइनेर-- अ्रकृतिके विषयमें एक नहें कल्पना--व्युटकी
उपपत्ति“-इस विषय पर आर्यविचारपरंपरा--सुष्टिकी भटना---परमाशु---
संबंघ---जाणिवालका
शास्रकी कमी--उससे मनके करृत्यकी दिशा समझें नहीं भाती--सन और
मस्तिष्कका कार्यकारणसबंध नहीं है--इससे नवीन उपपत्तिकी आवदनकता
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