गोकुल भवन (श्री कृष्ण लीला ) | Gokul Bhavan (shree krishna Leela)

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Gokul Bhavan (shree krishna Leela) by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ च हु डर $ ₹ व वसुदेव-( हय म शर्थ मार करें) सी श कार को 4 {4४६ २४ >: ( तलवार राय से डाल करे ) शेर- लो कटार हाथ में यद जान तक करवान है। मंगलो थव कृश-राजा दिल में जो अरमान है ॥। कंश-शेर--देवको,करा परम दिल लंगरहो है रत दिन। ~, हो प्रसृती को खशी घर पर हमारे रात दिन ॥ |; चाता--शरी मसेन 'मुकफोः देवकी से रस्यन्त भेम दै । इसलिये उसकी प्रसूती की खशी सद्त्र मर मन्द्रिमं हश्रा फरे यही सेवक की याचनयहै। “` वसुदेवः---रानैन येह कंया गोगो । लो शु्॑नुर हे पै. षचनदेत ह । कृन्रा धन्य है 1 पंन्य है | भी अ्चरोनि आपि -परन्य दैः सेवको शीट दो देन सेसिक्स दर न हे स वसदेव--बेठिये २ थभी कया जल्दी है। ' ^ 27. कन्श-( हाथ जोड़कर ) श्रीमान मुकं एकं शय्य वशं नीना बन» ५ ~र ४ क 1 वदयुदेष-( मोन षारण करते है ) (कन्श.का प्रस्थान). बलदेव जी का पवेश) 7 वृज्लदेषजी-रावधान । सावधान ।, पिता. जी सावषान । र 27८ ५४ ~ वस॒देवजी-ग्य क्या है । 1 वृलदेवजी- कंश को मसूती के घनं न, दना । कः वसदेवजी-- कचन । वचनः दे चुकी हू वंसंदेवजी कौ गाना पिताजी हवा सहा अन्ध ॥ 1; 1“ ¦ 2. ` 5.2. देते वचन न सोचा समभा, एीनी.जुरा ना. देर ॥ प्रिता जी० ॥ | साफ साफ. भतिःमक्तक कह गये करी. ना दरा फरा | पिता० ॥ दष के सत कश श्रा्दिक का मार मार कर ढर ॥ पिता० ६.




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