संक्षिप्त जैन इतिहास | Sankshipt Jain Itihas
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
202
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१७)
जमीसो ०--जनेठ माफ दी मीथिक सोसाइटी-वेंगलोर |
जराएसा ०--जनरल भ्राफ दी गायल ऐसिया टिक सोतायटी-लंदन।-
जका०=ः जन कानून 2 (श्री० चम्पततराय जेन बिद्यावा०
विजनीर १९२८ )।
जेग०~‹ जेन गजट ” स्प्रेजी ( मद्रास ) |
जप्र०--जनघर्म प्रकाश त्र ° जीतव्प्रप्तादजी (तरिजनौर १९२७) !'
जस्तू०--जैनस्तूप एण्ड अदर एण्टीकटीज आफ मधुरा-हिमथ |
जसास०=जेन साहित्य संदोवकः मु० जिनविजयजी (प्रना ) |
जेमा ०=जन सिद्धान्त भास्कर श्री पद्मगज जिन (कस्कत्ता) ।
जनि से०= जेन शिरुटेख संग्रह ° हीराखार नेन (माणि-
कचन्द्र ग्रन्थमाला |
जेहि०=जैन हितैषी सें० पे० नाथूरामजी व प० जुगठकिओ-
रजी ( वम्ब्ई ) |
जिसू० (8 गजेन सूत्राज (3. छ €€ा1९5, प्रण. ऊद
& -1.*)}.
ठोस ०ठोडसा० कूत राजत्थानका इतिहास (वेद्वटेदवर् प्रेष) ।
डिजेवा०=८ ए डिक्शनरी फ जन वायोग्रकी ° श्री उमयवर्सिह
टॉक ( आग )}
तक्ष०='ए गाइड द तक्षनिा -सर जीन मारदर (१९१८) ।
तत्वाथ०-तत्वार्थाधिगम् सूत्र श्री उमस्वाति 8. 8. ¶. ए०1.
तिप०=‹ तिछोयव पण्णत्ति ” श्री यति इषभाचायै (जेन हितेषी
मा० १३ चक १२)।
दिजें०--'दि० जैन मासिक पत्र सं° श्री. मृढचन्ट किसनदास
कापड़िया ( सूरत ) ।
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