थियेट्रिकल जैन भजन मंजरी | Theatrical Jain Bhajan Manjari
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
735 KB
कुल पष्ठ :
30
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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चाल--उमतव चासं परली प्यारी लाये पराय ¢
महीर् भाप वानी नीकी लागे महाराज ॥
महाराज थारी वानी नीकी लागे महाराज ॥ टेक ॥
| जिन वानी के सुनतही मिटे मोह संताप !।
अशुभ करम सब दूर हों दूर होएं सब पाप ॥ थारी० ॥ १ ॥
भीट जदयू वादे और अजनसे चोर ॥ ं
न्यामत जिन बानी सुनी सुगत गए अब तोर ॥ थारी०॥२॥ ¦
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, चात्त॥ सखी साधन किक भलनाप जिसका जी चाद]
ओरे चेतन उठी उम्कर चढों दखार अपने को ।
चुलाकर हन जख्दी करे दखार अपने को ॥ ! ॥
मगर यह याद रख रीजो इृषत्क्ा सैग मत कीजो ॥
वगस्ना फिर इसी हट्तम एम पवेगे अपने ॥ २॥
ध्री अद्िन्त्र ह सचे एतो सकार इनिया म ॥
सदा सरको झुकाते ठुम रहो सरकार अपने को ॥ ३ ॥
हुकम जो कुछ दिया सरकारते तल्लार्थ शासनमें ।
| करे पावन्द उन अहकामका हरवार अपने को ॥ ४ ॥
| कहा अपना समश्च कफे कोई एको नही कहता !
| को कहत तो कहता हे न्यामत यार अपने को ॥५॥
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२१
चाए--जिसनें एक या लुफे मादेजप दम्प पिदा ॥
जसा जो कराह भरताहें यहीं देख 1खया। | जैसा जो करताई भरताहै यहीँ देख लिया |
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