थियेट्रिकल जैन भजन मंजरी | Theatrical Jain Bhajan Manjari

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Theatrical Jain Bhajan Manjari by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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) ९ चाल--उमतव चासं परली प्यारी लाये पराय ¢ महीर्‌ भाप वानी नीकी लागे महाराज ॥ महाराज थारी वानी नीकी लागे महाराज ॥ टेक ॥ | जिन वानी के सुनतही मिटे मोह संताप !। अशुभ करम सब दूर हों दूर होएं सब पाप ॥ थारी० ॥ १ ॥ भीट जदयू वादे और अजनसे चोर ॥ ं न्यामत जिन बानी सुनी सुगत गए अब तोर ॥ थारी०॥२॥ ¦ 0 1 , चात्त॥ सखी साधन किक भलनाप जिसका जी चाद] ओरे चेतन उठी उम्कर चढों दखार अपने को । चुलाकर हन जख्दी करे दखार अपने को ॥ ! ॥ मगर यह याद रख रीजो इृषत्क्ा सैग मत कीजो ॥ वगस्ना फिर इसी हट्तम एम पवेगे अपने ॥ २॥ ध्री अद्िन्त्र ह सचे एतो सकार इनिया म ॥ सदा सरको झुकाते ठुम रहो सरकार अपने को ॥ ३ ॥ हुकम जो कुछ दिया सरकारते तल्लार्थ शासनमें । | करे पावन्द उन अहकामका हरवार अपने को ॥ ४ ॥ | कहा अपना समश्च कफे कोई एको नही कहता ! | को कहत तो कहता हे न्यामत यार अपने को ॥५॥ । २१ चाए--जिसनें एक या लुफे मादेजप दम्प पिदा ॥ जसा जो कराह भरताहें यहीं देख 1खया। | जैसा जो करताई भरताहै यहीँ देख लिया | १ 1 { | 1 1 ~ ~ ~ ~ ४4 ~~. अप अप




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