सत्यवादी हमारी पञ्चायती | Satyavadi Hamari Panchaytiya
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
50
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ )
( १) हमारी जतिम कुरीतियां बहुत रचित हैं, उनके मिटाने-
के छिए प्रस्ताव तो बहुत पाप्त किये जा चुके पर उनकी अमर्ठी
काश्वाईके न होनेंसे समाको कुछ मी सफछता प्राप्त नहीं हई।
इसलिए उनकी अमली काररवाईके ढिए समाकों ख़ाप्त प्रयत्न
करना चाहिए । यह कुरीतियांका घुन बडा नवरदस्त हैं ।
जातिकी जडको काटकर उसे सडा रहा है-स्रोखढी कर रहा है ।
उसे नष्ट करना जरूरी हैं ।
( १) देशमरमें मायः हर नगह खण्डेलवाल पब्चायतियोंकी
दा बहुत खराव है । वे पलतपात, हठग्रह, इध, द्वेष, स्वार
आदि दोषेति अन्याय-अनर्य-क्ररनेते नहीं हिंचकती । इससे
जातिकी वहुत हानि हो रही हैं । समाको इस ओर विशेष ध्यान
देकर उनके सुधारका उपाय करना चाहिए । इसके छिए
समाको देशभरके खण्डेल्वाटोको अपनेम झामिठ करना चाहिए.
और फिर उनमेंतते अच्छे सुयोग्य पुर््पोकी एक समिति वनाकर
उसके , द्वारा हरएक आमकी प्रन्चायतीका सुधार करना चाहिए ।
(३) ख़ण्डेखवारलेकी संख्या बहुत होनेपर भी उनमें
कोई सास नातीय विद्यालय नहीं हैं 4 यही कारण है कि उनमें
शिलाका प्रचार कुछ भी नहीं देखा नाता है । समाके
एुक खाप्त अपने जातीय .विद्यालयकी स्थापना करनी चाहिए और
वह विद्यालय ऐसे स्थानमें हो निसके द्वारा सच प्रान्तके खण्डेलवालः
नाटकं सम -उग सके
(४) समाको एक शिक्षाप्रचारकफण्डकी मी स्यापना
करनी चाहिए निसके द्वारा असमर्थ विद्यार्थियोंको छात्रदृत्तियां दी
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