तब और अब | Tab Or Aab

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Tab Or Aab by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कं तव अर अब २३ नोटिस प्राप्त हरा चा, परन्तु मूनको कुद वार्ते विदित थीं, जिनको समय चे पूरय मैं प्रकट नहीं करना चाहता था । उनके प्रकट हो जाने से धिक गड़बड़ की जा सकती थी । यूं तो मुभे विददास है कि अभी भी पर्याप्त गड़दड़ की गई है । परन्तु दो-तीन दिच पूर्व इस वास्तविक इच्छापत्र के विपय में वात फैलने पर तो साख इवर से उवर कर दिए जाते। श्राज जव रुपया खुर्द करने पर्‌ प्रतियन्य सं गया दै, तव मै राया हूं । , “पर्‌ वह्‌ इच्छापत्र, जो तुमने उपत्वित किया है, सच्चा है ¬ “हां मां ! वह न्यायालय में ^रचिर्ट्ड' हो चकारह] “मगर शिव का कथन है कि उस वाला पीछे लिखा गया हैं।” माता जी, यह श्रसत्य है। यदि उसको इसका निर्णय करना है तो स्यायासय में हो जाएगा श्रौर मां, जिस दिन यह फँसला हूग्रा कि वहु इच्छापव्र दिवजुमार . ने स्वयं ही लाला जी के देहावसान के उपरान्त लिखा है तो इस छतना के लिए जो वह कर रहा है, उसको पांच वयं का कठोर दण्ड भी मिलेगा । “परन्तु बेटा, न्यायालय में क्या सत्य-सत्य निर्णय होता है ? ” “परन्तु नौर किसी श्न्य का निर्णेय वह स्वीकार भी नहीं करेगा । जिसकी चात उसको मान्य हो; से उसके समक्ष यह सिद्ध कर दूंगा कि उस वाना इच्यापर नकली है ए वहु मेरी वात मान जाएगा \ “लो माता जी ! गाय माता पर हाथ घरकर वह कह दे कि उसका इच्छा पत्र लाला जी के जीवनकाल एवं उनके सज्ञान अवस्वा में लिखा गया है. तो मं मान जाऊंगा 1” मां चप कर गई! उसका कथने था, “कन प्रातःकाल तुमश्रौर गौरी वहां -आ जाना । मैं चाहती हं क्रि निणेय घरमेद्ौ जाए । ~~~ “माताजी! गोचर्घनलाल ने कह दिया, “जब यह चात नियचय हो जाए कि लाला जी की वास्तविक इच्छा क्या थी तो उसमें .हेर-फेर करना तो भारी पाप हो जाएगा श्ौर साथ ही जब वे न्याय-दुद्धि से कार्य ले रहे हैं। धियवुमार को . उसका उचित भाग दिया गया है । उन्होंने जितने दिन पित्ता वी के साथ काम दिया है उन दिनों की गिनती कर सम्पत्ति में उसका भाग ऑ्ाकिकर दिया हू । “' केवल एक चात उन्होंने विल्षण की है । वह यह कि सगभग दो सास ~ 4 २)




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