बच्चन रचनावली | Bacchan Rachnawali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : बच्चन रचनावली  - Bacchan Rachnawali

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अजित कुमार - Ajit Kumar

Add Infomation AboutAjit Kumar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
शेक्सपियर के अनुवाद, जहाँ तक मुझे मालूम है, बंगला में ही हुए; बाद को अन्य भाषाओं में । अंग्रेज़ी का साधारण ज्ञान रखते हुए भी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का ध्यान शेक्सपियर की ओर आकर्षित हुआ था । उन्होंने शेक्सपियर के 'मर्चेण्ट आफ़ वेनिस' का रूपान्तर “'दुलेंभ बन्धु” के नाम से किया था ! इसके पुर्वे बाबू बालेश्वरप्रसाद बी. ए. ने इस नाटक की कथा “'वेनिस का सौदागर' के नाम से सम्भवत: लैब-लिखित 'टेल्स फ्राम शेक्सपियर' के आधार पर लिखी थी । उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशक में जयपुर के गोपीनाथ पुरोहित ने 'रोमियो ऐण्ड जूलियट' का अनुवाद “प्रेमलीला' के नाम से, और बदरीनारायण चौधरी के भाई मथुराध्रसाद ने 'सेकबेथ' का 'साहसेन्द्र साहस तथा 'हैलमेट' का, 'जयन्त' के नाम से प्रकाशित किया । इन्हें पढ़ने का सौभाग्य मुझे नहीं मिला । कोई सज्जन इन्हें मेरे लिए सुलभ कर सकें तो कृतज्ञ हूँगा । मेरा अनुमान है इनमें दुलभ बन्धु की परम्परा का अनुसरण किया गया होगा । नाटकों के कथा भाग को कहानियों में कहने की परम्परा गंगाप्रसाद एम. ए. ने आगे बढ़ाई और इस शताब्दी के तीसरे दशक में ये कहानियाँ छह भागों में, इण्डियन प्रेस, प्रयाग द्वारा प्रकाशित की गयीं । कुछ मास हुए, मैंने कहीं विज्ञापन देखा है, किसी महिला ने शेक्सपियर के नाटकों की कहानियाँ अभिनव रूप और शैली में उपस्थित की हैं। 2 | क इस शताब्दी के तीसरे दशक में ही लाला सीताराम बी. ए. ने शेक्सपियरके कुछ नाटकों का अनुवाद--“'मैकबेथ' इनमें से एक था--प्रकाशित है कदाया । उनके. . अनुवाद ग्म द, जबकि शेक्सपियर ने अपने नाटक पद्य मे लिखे थे। इन अनुवादो को मैं छायानुवाद ही कहना चाहुँगा; तो भी शेक्सपियर के नाटकों को उनके निकट- ` तम रूप मे सवेप्रथम हिन्दी में उपस्थित करने का श्रेय लालाजी को ही है । भारतेन्दु और उनके अनुयाधियों ने नाटकों का वातारण भारतीय कर दिया था। .. 1930 के लगभग मैंने शेवसपियर के 'ओथेलो' का भी एक हिन्दी अनुवाद पढ़ा था । अनुवादक का नाम भूल गया हूं! यह्‌ लालाजी-कृत नहीं था। यह्‌ भी गद्य में था । इन पंक्तियों के कोई पाठक इस अनुवाद का कोई अता-पता देगे मथवा इसकी एक प्रति मुझे भिजवा सकेंगे तो बहुत आभारी हूँगा ।. हिन्दी में शेक्सपियर के नाटकों के सम्बन्ध में यदि और कोई काम हुआ है तो मैं उससे अनभिज्ञ हूँ है... .. ................ कि शेक्सपियर के नाटकों को हिन्दी मे अनूदित करने की बात मेरे मन में सबसे पहले प्रसिद्ध अभिनेता श्री बलराज साहनी और उनकी पत्नी श्रीमती सन्तोषं ` साहनी ने डाली थी । उनका विचार था कि मेरी कविताओं में जो सरल, संचित्र, बोलंती हई भाषा है वह नाटकं के अनुवाद के लिए बहुत उपयुक्त है । शेक्सपियरके नाटकर्मैने काफी पदे-पढ़ाये थे, मक्षे उनका अनुवाद करना हो तो उनका अभिनयं भी मुझे पर्याप्त देखना चाहिए। यह अवसर मुझे इंग्लैण्ड-प्रवास में प्राप्त हुआ; पर - ` अनुवाद एक पंक्ति का न हुआ । इंग्लैण्ड से लौटा तो श्रीमती साहनी ने इस विषय में के र मेरा 'मैकबेथ' का श्रनुवाद . छपने को भेज दिया गया था उस समय मुझे पता लगा कि डाक्टर रॉगिय राघव ने शेक्सपियर के लगभग एक दर्जन नाटकों का श्रेनुवाद गद्य में कर... डाला है रौर वे राजपाल एण्ड सन्तर , दिल्ली, से प्रकाशित हो रहे ह । जब मैंने श्रपना ` 4 11 किया, मुझे उनके श्रनुवाद की कोई खवर न थी । शायद यह एकं सबूत




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now