भारत विभाजन और हिंदी कथा साहित्य | Bharat Vibhajan Aur Hindi Katha Sahitya

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Bharat Vibhajan Aur Hindi Katha Sahitya by प्रमिला अग्रवाल - Pramila Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत विभाजन की पृष्ठभूमि | ऊ धामिक घामिक आधार पर भी हिन्दु-मुमलमानो कै वीच अलगाव के बीज बोये गये । दोनो धर्मों के बीच के अन्तर पर अधिकाधिक बल दिया जाने लगा । दोनों के धार्मिक आचार-त्यवहार, रस्म-रिवाज्ञ भेजो पाक्य था, उसे सास्प्रदायिक दूरी पैदा करने का हथियार बनाया जाने लगा। यह कहा जाने लगा कि दोनों के घर्म बिलकूल विराधी है, एक सूर्तिप्रणा में विश्ठास रखता है, दूसरा नही; एक मुर्दे को जलातता है, दूसरा दफन करना है। ऐसे ही' अनेक तरकों के आधार पर दो राष्टो के सिद्धान्त को स्थापित करने की चेष्टा की जाती रहीं ! नेताओं की स्थायं भावया हिन्दू-मुस्लिम सम्बस्धों में कट्ुता उत्पन्न करने के लिए कुछ सेताओं की स्वाथ-भावना भी जिम्मेदार रही । वे इन भावनाओं को उभारने मे सफल हो गये जी ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण हिन्दुओ और मुसलमानों में कटुता तथा भविडवास॒ उत्पन्न करती थी । हित्दूं और मुसलमान सदियों तक एक ही स्थान पर, एक साथ रहने के कारण एक ही घरती' और संस्कृति से भावनात्मक स्तर पर जुड़े हुए थे । ये उनकी जड़ थी, लो उन्हे माचवीय अथं प्रदान करती थी । पाकिस्तान के निर्माण के पक्षचर यह भली-भाँनि जानते थे कि पाकिस्तान के रास्ते मे सबसे बड़ी बाधा हिन्दुओ-मुसलमानों का साझा जातीय-सांस्कृतिक संस्कार है । इन संस्कारों को तोडने ओर मिटाने के लिये साम्प्रदायिक तनाव ओर दमे पैदा किय गये । मोहम्मद अली जिन्ना का तक था कि मुसलमान एक अलग कोम है, उनकी संस्कृति हिन्दुओं की संस्कृति से अलग है। उन्हें अपनी आकांक्षाओं और आदर्शों के अनुरूप रहने, स्व-शासन के लिए एक अलग देश मिलना ही चाहिये । मुस्लिम लीग के अधिकतर हिमायतियों का यही मत था । विभाजन के बाद बहुत सारे क्राम्रेसा नेताओं का भी यहीं मत रहा कि हिन्दुस्तान में हिन्दुओ और मुसलमानों के सम्बन्ध इतने बिगड़ गये थे कि बंटवारे के सिवाय ओर कोई चारा ही ने था । मौलागा आजाद नैसे बहुत कम लोग थे जो साम्प्रदायिक सवभ्ेदों और कहुआहट के मोजूदा अध्याय 1, हिन्दू चामिक क्षेत्र में रामायण, महाभारत ओर गीता से प्रेरणा प्राप्त करते हैं तथा मुसलमान कुरान नथा हदीस से । इसलिए आपसी मेल की अपेक्षा इनमें विभाजन की प्रति अधिक है । हिन्दू और मुसलमानों में सामात्य भाषा, सामान्य जाति तथा एक देश की भावना आकस्थिक तथा ऊपरी है । राजन नीतिक तथा घामिक विरोध इहृन्द्ू-मुसलमानो को एक दूसरे से मिलाने कीं भपेक्षा गहराई से पृथक करते हैं । -बी० आरण अम्बेदकर---भारद का विभाजन अथवा पाकिस्तान पुर 59




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