बुन्देलखण्ड की प्राचीनता | Bundelkhand Ki Prachinta
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
मननीय है फि पुलिन्द के बुन्देल' मे परिवर्तित होने के पश्वात् पुलिन्द
की कहीं भी चर्चा नहीं हई है । वहं प्राचीन पुलिन्ददेश और वे पुलिन्द सहता
कहाँ विलीन हो गये 1!
सिरपुर के अभिलेखानुसार शबर ( >सोर ) उड़ीसा के शासक थे ।
बुन्देलखण्ड में तो वे धीरे-घीरे झ्राकर बस गये । मूलतः वे उड़ीसा-क्षेत्र के निवासी
थे । टालमी के अनुसार फिल्लिते ( 0911712 } ताक्ती के किनारों पर रहते
थे । वे उत्तर में सतपुड़ा तक फैले थे । उनका दूसरा नाम भिज्ञ ग्रीक से संबन्ध
रखता है। वे लोग नमंदा श्र विन्थ्यश्वद्गला तक ही नहीं फैले हैं श्रपितु
दक्षिण भर पश्चिम में भी टूर दूर तक बसे हैं । टालमी के समय में वे पर्व की
ओर रहते थे । युली का मन्तव्य है क्रि टालमी द्वारा स्मृत फिल्निते श्र द्रितो
फिक्लिते ( 11110 18111४81 ) पुलिन्द थे ( द्रष्टव्य एन्दयन्ट इण्डिया,
डिस्कछाइन्ड बाई टालमी १६२ पू*)}।
वस्तुतः पुलिन्दो को जिसने नहा बसा देखा वहीं का लिख दिया । उनका
वास्तविक स्थान खोजने का प्रयत्न किसी ने नहीं किया । ए० कर्मिघम ने तो
पुलिन्दों के मराठा होने तक की संभावना कर डाली ( द्रषटव्य-भाक्रियालांजिकल
सर्वे आँव इण्डिया रिपोटंस , १७ खण्ड, १२७ पृ० ! । इस प्रकार कल्पना का
आशय लेकर दिद्वानों ने पुचिन्दों की स्थिति बुन्देलखण्डसे पश्चिम में सिद्ध
की थी । एतट्रिषयक हमारा अध्ययन आपके संमुख है ।
महाशिवरात्रि वि० सं० २०२१ ! विदुपासाश्रवः
साचे १४६४ र
वाराणसी । मीश श्च
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