भारतीय दर्शन | Bhartiya Darshan

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Bhartiya Darshan by डोक्टर राधाकृष्ण - Docter Radhakrishn

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची श्दे श्रेणियां : क्या उपनिषदों में बहुदेववाद है : अणु जीवात्मा : उपनिषदों का नीति- दास्त्र : आदर्श का स्वरूप : सिद्धान्त के लिए आध्यात्मिक- विद्या द्वारा समर्थन : नैतिक जीवन : इसकी सामान्य विश्ेपताएं : वैराग्य : बुद्धिवाद : ज्ञान, कम॑ और उपासना : नैतिकता और धर्म : भले और बुरे से परे : उपनिषदों का धर्म : विभिन्‍न व्यवस्थाएं : मुक्ति की उच्चतम अवस्था : इसकी उपनिषदों में अस्पष्ट व्याख्या : बुराई : दुःख : कम : इसका महत्त्व : स्वातन्त्र्य की समस्या : भविष्य जीवन एवं अमरत्व : उपनिषदों का मनोविज्ञान : उपनिषदों में अ-वेदान्त प्रवृत्तियां : सांख्य : योग : न्याय : उपनिषदों के विचार का सामान्य मूल्यांकन : महाकाव्य की दिशा में संक्रमण द्वितीय भाग महाकाब्य काल पांचवां ध्रध्याय भौतिकवाद र४£-र२६२ महाकाव्य काल ६०० वर्ष ईसा पुर्व से २०० वर्ष ईसा पश्चात्‌ तक : बौद्धिक हलचल : विचार-स्वातन्त्य : उपनिषदों का प्रभाव : उस काल की राजनैतिक परिस्थितियां : महाकाव्य काल की बहुपक्षीय दा निक हलचल : नैतिक विद्रोह की तीन मुख्य प्रवृत्तियां, धारमिक पूरननिर्माण और क्रमबद्ध दर्शन : युग के साधारण विचार : भौतिकवाद : इसके पूर्वेवर्ती : लोकायत : ज्ञान का सिद्धान्त : प्रकृति एकमात्र यथाधथ सत्ता : देह और मन : कोई भविष्य जीवन नहीं : ईइवर के अस्तित्व का निषेध : आनन्दमार्शियों का नीतिशास्त्र : वेदों की प्रामाणिकता का विरोध : सिद्धान्त का असर : भौतिकवाद की अर्वाचीन समीक्षा छुठा श्रध्याय जेनियों का अनेकान्तवादी यथार्थवाद २६३-३१२ जेनमत : च्घ॑ंमान का जीवन : इवेताम्बरों एवं दिगम्बरों में विभाजन : साहित्य : बोद्धमत से सम्बन्ध : सांख्यदर्शन और उपनिपदें : जेनियों का तकंशास्त्र : ज्ञान के पांच प्रकार : न्याय और उनके विभाग : सप्तभंगी : जैनमत के ज्ञान सिद्धान्त की समीक्षा : इसके अद्तपरक संवेत : जेनियों के मनोविज्ञान-सम्बन्धी विचार : आत्मा : देह और मन : जेनमत की अध्यात्मविद्या : पदाथं और उसके गुण : जीव एवं अजीव : आकाश, धर्म और अधमे : काल : प्रकृति : परमाणुवाद : कमें : लेश्य : जीव और उनकी श्रेणियां : जैन नीतिशास्त्र : मानवीय स्वातन्त््य : जेनमत और




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