बेगम | Begam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.58 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वेगम श्ट
सुरेया की तरफ वढा देता था ।
उस रोज खाना भी सुरया ने खुद ही पकाया ।
खानजमान लौटा उसके दूसरे दिन । चलते वक्त सुरया वोली--
मोरनी के जी में पुकार जगी है, सुन रहे है * क्या कह रही हैं, कह्िए
तो *
--कहो, तुम्ही कहो !
सुरया ने कहा--कह रही है, “ऐ झासमान के बादल, तुम आ्राए ।
प्राकर मुककको नचाया । नाचते-नाचते मैं अ्रभी थकी तो नही हु, पर
तुम राह चल दिए । श्रव मै श्रपना यह नाच किसे दिखाऊगी,
कहो *? था कि रोते ही गुजारूमी अपने बाकी दिन ?”'
अ्रली कुइली पलटा । उसके दोनो हाथों को पकड़कर कहा--
“दिलरुवा, मैं जिस नियम से झाता हु,जाता हु,उसमे फक श्राने का तो कोई
उपाय नही है । वह परवाना तो उसका है, जिसके परवाने से रात के
वाद दिन, दिन के बाद रात होती है । लेकिन फिर भी उपाय है--
तुम्हारे दो डने तो है । इस मिट्टी का मोह छोडकर श्रपने उन डैनो
को फैला दो--मैं अपने सर्वाग मे तुम्हे लपेटकर श्रपने गरीबखाने में
ले चलू । सोच लो, मिट्टी की माया काट सको, तो चलो । मै सम कया
कि मेरी जिन्दगी जिंदावाद हो गई ! ”
सुरया ने शेर में ही उसे फिर श्राने का झ्रामत्रण दिया । जवाब
में कवि वाजा सुलतान ने अपने यहा आ्राने का दिया । सुरया
अखि फाडकर उसे देखती रही । उसे गोया यकीन नही हो रहा था।
म्रली कुइली ने कहा--हा, कह दो प्यारी । कह दो कि कवूल है।
सुरया रो पडी |
उसे अपनी छाती से लगाकर श्रली कुइली ने पूछा--सुरया'*'
सुरया वोली--मैं तुम्हारी वादी हूं ।
मेरी प्यारी हो ।
जिन्दगी, मेरी किस्मत जिंदाबाद !
इसके कुछ ही दिनो बाद श्रली कुइली मे मुल्ला को बुलाया ।
को गवाह रखकर उससे शादी की श्रौर उसे श्रपने हरम में
गया |
सुरया को शुकदेव झाचायें की याद श्राई । उसने अली कुइली से
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