चिड़ियाघर | Chidiyaghar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हरिशंकर शर्मा 'हरीश ' - Harishankar Sharma 'Harish'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चहचहाता चिड़ियाघर १९१
धरम के कारन धरमदत्त नें देखो जान गेंवाई,
धरम् के काररणं জী # # ॐ ॐ ॐ @ ডি গে ডগি ভগ 96 উকি
धरम-घरम को धूम मचाओझ्रो, घरम-धुजा फहराओ,
धरम श्रोदलो, धरम बिछालो, धरमी सब बन जाश्रो,
घरम के काररणं जी, धरम कं कारं जो-
धरम फे कारणं जी; भाईयो, तन-मन-घन सब दे दो 1
कवि कारण्डवजी अभी अपनी भूरि भाव-भरित कविता
की दो-तीन कड़ियाँ ही पढ़ने पाए थे कि लोग सरसे साफ़ा
बाँध, मोटा सोटा ले और गले में गुलूबन्द लपेट कर घर्म पर
बलिदान होने को आा खड़े हुए ! 'जीवन-दान', “जीवन-दानः
की आवाज़ें आने लगीं, 'धन्य-धन्य” की धूम मच गई ! सभा-
पतिजी ने भी, कारण्डवजी की चोंच चूमकर स्पष्न दब्दों में
कहा-- भाई, बस, इस आधुनिक युग में आप ही एक काम-
याब कवि हैं ! विराजिये, इस समय शीघ्रता है। आपकी 'पद-
पाढ़न्त के लिये तो पूरे पाँच घंटे दिये जाये, तब कहीं श्रोतृ-
सम्लुदाय की संतृप्ति हो। ओ हो (--भ्राप की कविता क्या है,
'फ़ायर-ब्रिग्रेंड! का इज्जन या तुफ़ान-ट्र न का भोंपू है। धर्म, जिस
पर जगत् स्थिर है, उसके आप जेसे परम प्रवीण प्रचारक
धस्य है!
कृवि कारण्डवजी को कुकड़ं-कं” समाप्त होते ही, घटना-
घन घमण्ड घोघा घुग्घु घासलेटानन्दजी अपनी श्रकड़ में घोर
घोषणा करते हुए, उसी प्रकार बिना बुलाए पञच बन मञ्च पर
आ आरूढ़ हुए जिस प्रकार 'साइमन-सप्तक' भारत के भाल
प्र आ धमका था ! सभापति श्रीगरूडदेवजी ने गुस्से से गुरति
हुए कहा-- अच्छा, पढ़िये, पहले आप ही पढ़िये।” तब श्री
घासलेटानन्दजी ने अश्रगाई-पिछाई तोड़, और कुण्डे-कुण्डी फोड़
User Reviews
No Reviews | Add Yours...