शकारि विक्रमादित्य | Shakaari Vikramaaditya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
173
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अपराहृण काल था अयोध्या नगरस्थित बौद्ध बिहार के ए कां तकु
में धर्मंमित्रा अकेली बैठी हुई थी | নই আজ সু खिन्न थी,
मिक्ष मी बन जाने पर भी उसे पूर्णशांति नहीं मिलसकी थी बीच २
में उसका विगत जीवन अपनी कुरूपताओं के साथ उपस्थिति होकर
उसके हृदय के घावों पर पड़ी हुई पपड़ि यों को खुरच कर नया
कर देता था ।
वेशाली के समीपस्थ रामपुर ग्राम के एक सम्पन्न क्षत्रिय परिवार
में धर्ममित्रा का जन्म हुआ था । उसे रूपलावराय प्रदान करने के
समय बढ़ ब्रह्मां ने अपनी उदारता की पराकाष्ठा दिखला दी थी कितु
भावी जीवन को सुखमय बनाने कै समय उनके भीतर कुरूप पणता
आ गई थी, जिससे घमंमित्रा रोरोकर बराबर विधाता को कोसती
रहती थी।
जन्मकाल के समय ही उसकी मां दिवंगत हो गई ¦ दो वर्ष बाद
पिता एक युद्ध में वीरयति को प्राप्त कर गये | अतः: चंचला कमला
उल्लू पर सवार होकर उड गई । पड़ोसी ब्राह्मण परिवार ने अनाभिता
बालिका का अनिच्छा से पालन किया । नववषं की अवस्था मे সম
के एक दरिद्र क्षक्षिय कुमार के साथ उसका विवाह कर दिया गया
किन्तु ससुराल जाते सामय गंगा मेँ नाव इव जाने से उसका सुहाग सुं
सूज भी इव गया, परन्तु वह न इब सकी । एक नाविक ने उसे बचा
लिया था।
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