पुस्तक वर्गीकरण कला | Pustak-vargi Karan Kala

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Pustak-vargi Karan Kala  by द्वारकाप्रसाद शास्त्री - Dwarkaprasad Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अर्भफिएण का सद्ान्त पक्त ६. জামী অর ই লী জান বা व्यक्ति आतगंत हैं। अत' 'पजाजी पद के सम्बन्व मे 'मारतीयः पद जाति है और भारतीय पद्‌ के सम्बध में 'पणागी” पद उपजाति है । (से) सजाहि सजाति--यदि दो या दो से अधिक पदों में परस्पर ऐसा सम्बध हो कि उनके अपने अपने व्यक्तियोध एक ही अन्य पद के व्यक्तिवोध के अन्तगंत हों तो वे एक दूसरे के सम्मघ में 'सजाति' फ्हे जायेंगे। जैसे-- पजाबी-गुजगती, धोड़ा-मैल, श्राम जामुन, गुलात गेंदा, आदि पदों में परस्पर यही सम्बंध है| নারী? “गुजराती! पदों फे जो अपने अपने ब्यक्तियोध ६ थे एक अन्य “भारतीय! पद के ध्यक्तियोध पे श्वतर्गत हैं | अत वे पद एक दूसरे से सर्बथा प्रथक्‌ होते £} 'पणावों फा व्यक्तिवोध गुजराती? पद के व्यक्तिबोध से सर्वया यक्‌ ह क्योंकि कोइ पल्ाबो गुजराती नहीं है, औ्रौर फोइ गुजराती पजारी नहों ऐ। (ग) शामन जाति श्रासमर उपजात्ति--यदि जातिः भौर उपजातिः के घीच किसी तीसरे प कै व्यक्तिमोघ आ जाने फी सम्भावनानषदोतो प्ल दूसरे फे सम्बध में “आसत्त जाति ओर दूसरा पदले फे सम्प मं ।भासत्र उपजाति, ह ता १ । भ्मारतीयः पद्‌ पजायी> पट फा समनन्तर जाति! है श्रौर प्प॑जाग्र पद्‌ भ्मारीय) पद फा समनन्वर उपजाति । हाँ, यटि इनसे बीच “उत्तर भारतीय पद्‌ फा व्यक्तियोध उपरिषत क्या लासे तो 'मासतीय उत्तरमारतीय-पत्ात्रीँ ऐसा हो जाने से उनमें यद सम्बरध नहीं समक्ता जायगा। तत्र यही सम्मंघ (उत्तर भारतीय श्र 'पञायी! मे स्थापित किया जा सकेगा । 7 (ध) दूरम्य जाति-दूरस्य उपजाति-यदि जाति! और उपजातिः के भ्रीच अन्य पद या पदों क व्यदिपोया श्रन्वमापददो तो पदता दूप्रेये सम्प्रभ में दूरस्थ णाति ऐ और दूसरा पहले फे सम में 'दूरूप उपयाति! है । ससे पजा ফি सम्बाध में ममुष्य 'दूरस्प णाति! है और मयुप्प फे सम्बंध में “शादी! दुरुप उपजाति ই क्योकि दन शोनों के थी में 'मासतोय! पद वा ध्यवतियोष उपस्थित दै 1 # (४) मदाजाति--उख षद्‌ फो मायाति क्ते ई लिषठका म्यतिमोप फिसो भी दूसरे पद ये स्यक्तियोष ये अन्तर्गत न हा सपरे ।




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