भारतीय अर्थशास्त्र | Bharatiya Arthshastra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : भारतीय अर्थशास्त्र  - Bharatiya Arthshastra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डी. एस. कुशवाहा - D. S. Kushavaha

Add Infomation AboutD. S. Kushavaha

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भौगोलिक सस्थापत तथा प्राकृतिक साधन ११ चे) चकि शाति पवा सुद्ध दोनों स्थितियां में खनिज पदाय भाधुनिक उद्योगो का आधार हैं, वयोकि वह ऐसी सम्पत्ति हैं जो वेकार होती जाती है, झतएवं इनके सम्बंध मे 7 सयोजित और व्यवस्थित बिकास वी ऐसी नीति श्रपनानी चाहिए जिप्तका भाषार इनकी सुरक्षा और झ्राधिक उपयोग हो। इस प्रकार की नीति मे मुख्यत निम्न वाते होगी-- ५८ साधनो का उचित ख्प से किना विभिन्‍न खनिज निक्षेपा की उपयोगिता भौर विस्तार फा पता लगाने के लिए व्यवस्यित खोज, (२१ खदान-सम्ब धी उचित काय जिसमे सुयोग्य प्रविधिज्ञा (टेक्नीशिय स) को रखना, उच्चकोटि वे! खनिज पदार्थों की निपेघक तथा छुनी हुई खुदाई को वद कर देना, वेकार ढेरो से घहुपूल्य खनिज पदार्थो कौ पून प्रासि, विभिन्‍त्र वग के खनिज पदार्थों के लिए झ्राथिक सीमाग्नो का निर्धारण करना भौर महत्त्वपूण खनिज पदार्थों, जसे कच्चा लोहा, मगनीज, क्रोमा चूट, बब्साइट के पट्टो के सम्ब'ध मे के द्रीय सरकार की सहमति प्राप्त करता सम्मिलित है, {३) ग थक, टगस्देन, टिन जसे महत्त्वपूणण खनिजो के निक्षेपो की खोज (४ निम्न श्रेणी के कच्चे सनिजो का अनुमान लगाना भौर उनको विभिन्‍न क्रियाआ फे सम्बध में प्रनुसघान करना, (४ निर्यात के लिए खनिज पदार्थों को झ्राधे तयार या तैयार माल मे परिएत करना, भौर ल्त भारतीय खान कार्यालय (इण्डियन ब्यूरो भॉफ मा धन्स ) को भारत तथा भय देशा के उद्योगा के भ्रथशास्त्र तथा खनिज व्यापार सम्बंधी श्राक्डे एवेप्नित करने का भ्रचिकार देना 1 निम्न अनुच्छेदा भे भ्रधिक महत्त्वपूरा खनिर्जो के सम्बध मे कुद कहा गया है। ८ कोयला--मारत में कायले का लगभग ८२% बिहार शोर पश्चिमी वगाल में पाया जाता है । कोयला उत्पत्न करने वाले भन्य क्षेत्र मध्य प्रदेश उीसा, हैदराबाद और श्रासाम में हैं। १६३२ में काम मे लाच योग्य कोयला २,००,००० लाख टन आॉका गया था । इसमें से अच्छा कोयला ५०,००० लाख टन रहा होगा । एक हाल के सर्वेक्षण के भ्रनुसार पत्थर के कोयले की रक्षित निधि २०,००० लाख टन है | यदि कोयला सरक्षण फी विधियो उदाहरणाय प्रक्षालन (वा्िग) थौर मिश्रा (ब्लडिग) प्रादि को श्रपनाया जाय तो श्राधुनिक खुदाई के ढग से १६ ००० लाख ठन कोयले वी पुनर्भ्राप्ति सम्भव है । पत्थर के ठोस्न तथा भद्ध ठोस कोयले (कोकिंग तथा प्रघ कीकिंग) ये सम्प्रध मे परिस्थिति भ्रसन्‍्तोपजनवः होने के कारण यह ध्रावश्यक है कि अविपष्य में १६४६ की विशेष समिति द्वारा प्रस्तावित रक्षण के उपाय कठोरतापूवव सगर क्रिये जायें । विगत ३० वर्षों मे कोयले का उत्पादन प्राय दूना हो गया है। १६५४ में इसका उत्पादन ३७० लाख टन हो गया। कोयले के प्रम्ुत्त उपभोवता रेलवे (३१%) और इजीनियरिग उद्योग (१४६%), सूती और उनी कपड़े वी मिलें (५५%) हैं। घात्विक फोयले के उत्पादन का ४०९५ रेलवे भौर २१% इस्पात के उद्योग द्वारा उपभोग होता है । होप श्रन्य विविध उद्योगा तथा सग्रह के काम प्राता हैं। विकसित होते हुए लोहे भौर इस्पात के उद्योग तथा कोयले के सरक्षण ये हित म यह भावश्यव दै कि धात्यिक कोयले को लोहे झौर इस्पात के उत्पादन के प्रयोग बे लिए छोडवर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now