हिंदी भक्तिरसामृतसिन्धु | Hindi Bhaktarasamritsindhu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्यभिवारशिथिवों की परस्पर विभावता भवादयादि चार देवाएँ दर भाव क्षण भाव का लक्षण ही महिष्ठ आदि दाष्दों की व्याख्या पंचमी स्थापिभाव लहरों स्थायी भाव की परिभापा स्थायी भाव तथा गौण स्थापी शावों का घर्गीकरण सुख्य भक्तिरस का निरूपण गौण भक्तिरस का सिख्पण हक ने परिचिम विभाग प्रुष्ठ ३१७- ४२० प्रथमा श्वान्तरस लहरी ने १ खनन हे मुख्य भक्ति रसो का वर्णन शान्त रस का लक्षण शान्त रस का शालम्बन शान्त रस के उद्दीपन शान्त रस के अनुभाव लागत रस के सचारी शान्त भक्ति रस का स्थायी दास्ति शान्त रस के सात्विक हितीया प्रीतिभक्तिरस लहरी का पीतलिभक्ति रस का लक्षण भक्ति रस के दो भेद सम्ध्रम प्रीति थौर गौरब सम्श्रम शरीति के आलम्बन विभाव--कुष्ण दास के लक्षण और भेद सम्श्रभ प्रीति भक्ति के उद्टीपन सम्श्रम प्रीति भक्ति के अनुभाव सम्श्रम प्रीति भक्ति के व्यशिचारी भाव सम्श्नम प्रीति भक्ति का स्थायी भाव प्रीति के स्नेह राग गौरव प्रीति का रूक्षण गौरव प्रीति का हध हद दल क्. कर दर जे है छीन अर अर नस. इंपू ही दल न 2 जात मद थी सो जद आए फल जाग का आकर दर कु रथ का ० कर. डे




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