नया हिंदी साहित्य : एक दृष्टि | Naya Hindi Sahitya : Ek Drishti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)$ ९०५१ हिन्दी साहित्य की प्रगति
हमारे कवियों ने जीवन से मुख मोड़ “अनन्त” को अपना राग
सुनाया है। हमारे कह्दानीकार केवछ मध्य-श्रेगी के जीवन-चित्र
खींचने में लगे हैं। प्रेमचन्द ने अवश्य दी फ़ेक्टरी और वाज़ार-हाटों
में जो नई पुकार उठी है, उसे सुना था ओर उनकी कला से हमें
इसकी प्रतिध्चनि मिछती हे। हिन्दी के एकाकी नाटककार प्रसाद!
अतीत के सुनहले सपने देखने में तल्लीन जीवन के दुःसह दुःस्वप्त न
देख सके ।
पन्त के “परिवत्तेन! मे देश का क्रन्दन व्यापक नाद् कर उठा रै ।
कवि के हृदय की अन्तर्वेदना यहाँ विवश हाद्याकार कर उठी हे ।
भाज ते सौरभ शा मधुमा
शिशिर में भण्ता सूनो सांध
चद्दी मधुर्तु की गुशित ढाल
छठी थो जा यौवन के भार,
भद्धिवनता मै निज तत्काल
छिहर ठठतो,--जीवन है भार !
आज पावस-तद के उद्धार
काल फे अनते चिक्र फरल;
प्रात छा सोने छा ससार
जदा देती सध्या फी उवार |
भयिल यौवन के रंग उभार
षटि के दिलते বাজ;
यों के चिकने, काले व्याल
केचली, सि, धिभारः
गृंजते हैं सबफे दिन चार,
समौ फिर द्वाह्यकार |
'ऋपाभ' के जन्स-झाऊ से पन्वजी के काव्य का भी पुनर्जन्म हुभा
है और आपके छन्द के वन्धः खुर गये है । राम्या अमी तक पन्त
की खर्व-मवर करति हे ।
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