शब्दों का इतिहास | Shabdo Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शब्दों का इतिहास में कटोप शब्द कानंतोप ही रहा हो और याद में धीरे थीरे शीघ्रता, सुखनसुख, सततप्रयोग अथवा अज्ञान वश क'टोप हो गया हो। चौंवच्चा :--इसे चहवच्चा भी कहते हैं । इसका शुद्ध रूप चाह बच्चा है। चाह बच्चा फारसी का शब्द है. । यह चाह और बच्चा दो शब्दों के मेल से बना है। चाह का अर्थ है. छुंड मर बच्चा का झर्थ है छोटा । अतः चाह बच्चा का अर्थ हुआ छोटा झुंढड । यही कारण है कि छोटे से पानी के कुंड को चाह बच्चा, चहवच्चा, चौवच्चा, झथवा चरदी कहते हैं । सगहा :--का झर्थ है; पगवाला । श्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग उस रम्सी के लिए होता था जिससे जानवर के पैर बांघे जाते थे, परंतु चाद में इसका शथं - विस्तार दो गया और यह पैरों के अतिरिक्त गले सें वांधी ज्ञाने.वाली रस्सी के. लिए भी प्रयुक्त होने लगा 1 कटरा :--यहद शब्द दो शब्दों के समिश्रण द्वारा निर्मित हुआ है--काठक घर । काठ-घर की अथ है काठ का घर छाथवा चह स्थान जहाँ काठ का घर हो । काठघर में अथम क के पदचात्‌ “श्र का लोप हुछा और कठघर वन गया । सुरदावाद तथा प्रयाग के क्ठघरं नामक मोह्लों में जहाँ काठ के घर अर तक पाए जाते हैं, इसका प्रत्यक्ष अमाण है. । - बाद में संभवतः लकड़ी के झभाव अथवा दृदता आदि अन्य 'किसी कारण से लकड़ी का थोड़ा सा हिस्सा ही मकानों में




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