परिवर्तन | Parivaratan

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Parivaratan by सुदर्शन - Sudarshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ন্ট ठे -भाई ! मैने जी खोकर दुनिया की बहार द्टी । रुपया, रूप, $ ২৯২ ২৩ ৯২৯২ गं ৯২ यौवन, संसार-वारिका के यह तीन दी मीठे फट हं, मेरे पास तीनों थे + में अपनी तारीफ़ नहीं करता। मगर यह कहे শিলা ন रहूँगा कि में साधारण अगरेज़ों से ज्याद सुन्दर हूँ कमसे कम लोग ऐसा ही सभ- दयते हैं। मुझमें रज्ग की विशेषता नहीं, हर एक अँगरेज़ का रह्ञ सफ़ेद है | मगर मुझ जेसे भारतीय नकश अँगरेज़ों में कह हें? उन्होंने कई स्त्रियों का सर्बनाश कर दिया। में उनके दृदयों से खेलता था, उनसे हसता था, मगर सभ्यता कौ 'मय्योदा का कभी उलंघन नहीं किया। यहाँ तक कि एक लड़की জান্তা ने अपनी सुन्दरता की सम्पूर्ण शक्ति से मुझ पर आक्रमण किया | यह लड़को लड़की न था, क्र कौ परी थी। उसका रूप मन को मोह लेनेवाला था । वह साधारण अगरेज़ लड़कियों की नाई ओछी न थी, न बात-बात में दाँत निकाल-निकालकर :खल- खिला उठती थी । वह सिफ़ मुस्कराती थी | मेरा मन लट॒टू हो गया । स्टीला मेरी दुकान पर प्रायः आने-जाने लगी। में उसे सबसे पहले 2061৫ करता था, ओर यत्न करता था, कि उसे मेरी दुकान पर १९




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