पूजा संग्रह | Pooja Sangrah

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Pooja Sangrah by श्री आत्माराम जी - Sri Aatmaram Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९) मुक्तिरम॑णीकारण विसु । भवदुखमंजनहार. ॥ ५ ॥ कुसुमांजलि ढाल जिनके णका पार न पाउं;। जो सुझ तारणहारा रे ॥ वीर चरिलोकीहितकर वंदु । कुसुमांजलि अघटारा रे॥ कु० ३। सर्व० ५॥ यह पढकर कुसुमांजालि चढानी । इति पंचम- कुसुमांजलिः ॥ ५॥ । नमोईत्‌०--दोहा ऋषभंदेव आदेकरी । वर्द्धआन परजंत ४ वर्तमान चउवीस जिन । कृलमलसयलनिहंत ॥ ६ ॥ कुसुमाजालि दाङ जमतारक चउवीस हि লিলনং । माविजनकमलदिनंदारे ॥ चउवीस जिनंदके चरणकमलमे । कुसुमांजलि शिवकंदारे. ४ ॥ कु० ३ 1 सवै ० ६॥ ? জী र




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