नैवेद्य | Naivedh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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है शिगुंण, हे सर्वं गुणाश्रय, हे निरुपम, दे उपमामय !
दे अरूप, हे सर्वरूप-मय, 2 शाश्वत, ई शान्ति-निख्य |
ই जज, आदि, अनादि, अनामय, है अनन्त, है अविनाशी]
ই सच्ित्-आनन्दक्षान-घन, दत-हीन घट-घट-वासी ॥
है शिव, साक्षी, शुद्ध, सनातन, सर्ब॑र्ित, है सर्वाधार!
हे शुम-मन्दिर, खुन्दर, हे शुचि, सौम्य, साम्यमति, रदित विकार ॥
ই अन्तर्यामी, अन्तरतर, भम, भचर, है अकर, अपार !
दे निरीह हे नरनारायण, नित्य. निरञ्नन, नव-सुङ्कमार ॥
हे नव-नीरद्-नीर नराङृति, निराकार, दहै नीराकार)
है समदर्शो, सन््त-खुखाकर, हे लीलामय, प्रभु साकार
हे भूमा, है विभु, त्रिसुवनएति, खुरपति, मायापति, भगवान !
है अनाथपति, पतित-उधारन, जन-तारन, है दयानिधान ॥
हे दुर्चरुकी शक्ति, निराधयके आश्रय, हे दीनदयाल !
है दानी, है प्रणत-पाटः, है शरणागत-चत्सरः जन-पार ॥
है केशव, है करुणा-सागर, हे कोमल अति खुहृद महान!
करणा कर अव उभय अभय चरणों मुभे दीजिये स्थान ॥
सुरमुनि-वन्दित, कमलानन्दित, चरण तव मस्तक धार |
परम सुखी हो जाऊँगा मैं, हंगा सहज भवाणंव पार]
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