इंग्लैंड का आर्थिक इतिहास | England Ka Arthik Itihas
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सत्यदेव देराश्री - Satyadev Derashri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ इड्लेंड का आथिक इतिहास
(78) नामक भाड़ी की बाड़ होतो थी जिससे इसके क्षेत्रफल का पता
चलता था श्रौर इसकी रक्षा होती थी । एेसी बाड़ यदि श्रच्छी दशा में रक्खी
जाए तो डाकुओं, निर्वासितों और वन्य पशुओं का आगमन रोक सकती थी,
परन्तु यह एक सुव्यवस्थित सेना का प्रस्थान नहीं रोक सकती थी । घने
बसे हुए क्षेत्रों में स्वामि-भूमियाँ एक दूसरे से लगी हुई होती थीं श्रौर इनके
बीच में बाड़ होती थी । दूर के प्रदेशों में विस्तृत वन और दलदल होते थे जो
स्वामि-भ् का अंग नहीं स्ाने जाते थे और जिनमें भेड़िये भौर सूअर, डाकू और
निर्वासित व्यक्ति रहा करते थे । |
` ` श्रतयेक स्वाभि-भू का एक स्वामी होता था, यद्यपि यह कथन कि स्वामि-
भू स्वामी की सम्पत्ति थी, गलत होगा | भूमि पर राजा के अतिरिक्त किसी का
पूर्ण स्वामित्व नहीं होता था, सब भ्रूमि राजा की, या राजा द्वारा प्रदत्त, मानी
जाती थी । स्वामि-भ्रृ का स्वामी एक प्रकार का 'सूधारी माना जाता था न
कि पूर्णा स्वामी । परन्तु यह भृूधारण श्राजकल के भूधारण से भिन्न था।
भूस्वामी जिसको अपती भूमि सीधी राज़ा से या राजा द्वारा दिये गये क़िसी
श्रन्य स्वामी से मिलती थी, अपने अधिकार में सुरक्षित था और जब तक वह
राजद्रोह का दोषी नहीं हो उसे वैधानिक रूप से अपनी भूमि. से वंचित नहीं
किया जा सकता था | |
राजा स्वयं स्वामि-भू का स्वामी हो सकता था और उसके पास अपने
प्रजाजनों से अधिक ऐसी जागीरें होती थीं। ये राजा की भूमियाँ थीं और
इनको 'शाही जागीर' कहते थे । कभी २ शाही जागीर का क्षेत्र घट जाता था,
उदाहरण के लिए जब सम्राट कुछ भूमि अपने अ्रनुयायियों को दे देता था।
कभी-कभी यह बढ़ भी जाता था, उदाहरणार्थ, जबकि स्वामि-भू के स्वामी के
निःसन्तान मर जाने पर स्वामि-भर् स्वतः सम्राट् को मिल जाती थी या राजद्रोह
के अपराध में दंडित भू-स्वामियों की स्वामि-भू जब्त कर ली जाती थी। बड़े
सामंत कई स्वामि-भूमियों के स्वामी होते थे जो प्रायः देश भर में बिखरी
रहती थीं । विजयी ना्मन की नीति सेवा को उदारता-पूर्वक पुरस्कृत करने
. परन्तु साथ ही साथ फ्रांस की तरह बड़े सामन््ती प्रान्त नहीं बनने देने की थी ।
भ्रगेक छोटे भू-स्वामी एेसे होते थे जिनके पास केवल एक छोटी स्वामि-भू
नानादानानि मयोः
| १. कहा जाता है कि केवल एक स्वासि-मू वाले स्वामिर्यो की संख्या थोदी
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