ध्वनिविज्ञान | Dhwanivigyan

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Dhwanivigyan by गोलोके बिहारी धल - Goloke Bihari Dhal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ फोनेटिक टाइप का अभाव ही दै। परन्तु श्रव इस प्रकार की समस्या सामने नहीं है । शन ०.६ इस पुस्तक कौ शली के विषय में भी मुभे कुछ कहना ह । मेरी मातृभाषा उड़िया है, ग्रतः मेरी शली पर्‌ उडिया भाषाेली का परोक्ष रूप से प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है । राशा है, सुधी पाठकों को भाषा संबंधी कोई कठिनाई उपस्थित हो तो वे मेरी परिस्थिति को ध्यान में रख क्षमा करेंगेब॑ वर्णनात्मक भाषातत्व के परिचय प्राप्त करने में यदि विज्ञ पाठक मेरी ध्वनि विज्ञान' पुस्तक से कुछ लाभ उठा सकें तो में अपने परिश्रम को सफल समभुगा । गंजेइडिह, = गो पै धल ढेंकानाल, उड़ीसा । लोक बिहारी ध




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