श्रीतृतीय - गृहकीर्तन - प्रणालिका | Shreetritiya - Grahkirtan - Pranalika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
71
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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९ नंदराय को दादी आयो वृषभान० श गार समय ।
१० इुःवरी प्रगदी जान गावत ढाढी० | १ बहुरि कृष्ण श्रीगोकूल प्रगटे०
राज्ञभोग दरशन । २ श्रीवल्ठभ निज नाथ०
१ आज वृषभान के আন | ३ चहुजुग वेद बचन पग्रतिपारयो०
आरती पीछे भीतर तिलक होय तब || ४ अबके हिजवर हो सुख दीनो०
१ यधाज् को जन्मभयो सुन माह |५ जय श्रीरक्ष्मण सुवन नरेश
भोग के दशन । | राजभोग आ्राये।
१ प्रगव्यो सब त्रजको भृंगार० १ श्रीरक्ष्मणग्रह महामंगल भयो०
२ आज बधाई की विधि नीकी० २ शुभ बेशाख कृष्ण एकादशी ०
हे ढाढी आबे तब । ३ जे बसुदेव किये पूरन तप०
१ जदुबंसी जजमान तिहारो दादी | ¢ वछभनंदन रूप अनूप स्वरूप०
आयो हो० भोगसरे |
संध्या समय |
१ गोवलछभ श्रीगोवर्धनवक भ ०
राजभोग दर्शन ।
१ बधाई को दिन नीको०
भोग के दशंन |
१ जो पे श्रीविहल रूप न धरते०
२ नातर लीला होती जूनी०
१ मेरे मन आनंद भयो०
शयन भोग आये ।
१ माई प्रगरी कु वरि पृषभान के०
२ वृषभान के बेटी जाइ०
३ बजत वृषभान के परम बधाई०
४ रावल राधा प्रगट भइ० क
५ प्रगट भई सोमा त्रिुवन की० व
' १ क्ृपासिधु श्रीविद्वलनाथ०
६ सकल भुवन की सुन्दरता ०
न = संध्या समय ।
বারী রাহ জাং जा बैग पु १ हों चरनातपत्र की छेया०
शयन् दशर्न । शयनभोग श्राय
१ आटे मादौ की उजियारी ২০ ৫
२ श्रीवपभानरायजू के आंगन बाजत० | १ मक्तखुधा নত ह प्रगटे०
पोढवे में उत्सव के । २ श्रीलक्ष्मणगृह प्रगट भये दै
माद्र शु ६ ( श्रगिरिधरलालजी को उत्सव ) | ३ श्रीविषठरनाथ बसत जिय जाके
मगला दर्शन रायन भोगसरे ।
१ बधाई मंगरुचार० १ गां श्रीवक्मनंदन के गुण०
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