श्रीतृतीय - गृहकीर्तन - प्रणालिका | Shreetritiya - Grahkirtan - Pranalika

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Book Image : श्रीतृतीय - गृहकीर्तन - प्रणालिका  - Shreetritiya - Grahkirtan - Pranalika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & ) ९ नंदराय को दादी आयो वृषभान० श गार समय । १० इुःवरी प्रगदी जान गावत ढाढी० | १ बहुरि कृष्ण श्रीगोकूल प्रगटे० राज्ञभोग दरशन । २ श्रीवल्ठभ निज नाथ० १ आज वृषभान के আন | ३ चहुजुग वेद बचन पग्रतिपारयो० आरती पीछे भीतर तिलक होय तब || ४ अबके हिजवर हो सुख दीनो० १ यधाज्‌ को जन्मभयो सुन माह |५ जय श्रीरक्ष्मण सुवन नरेश भोग के दशन । | राजभोग आ्राये। १ प्रगव्यो सब त्रजको भृंगार० १ श्रीरक्ष्मणग्रह महामंगल भयो० २ आज बधाई की विधि नीकी० २ शुभ बेशाख कृष्ण एकादशी ० हे ढाढी आबे तब । ३ जे बसुदेव किये पूरन तप० १ जदुबंसी जजमान तिहारो दादी | ¢ वछभनंदन रूप अनूप स्वरूप० आयो हो० भोगसरे | संध्या समय | १ गोवलछभ श्रीगोवर्धनवक भ ० राजभोग दर्शन । १ बधाई को दिन नीको० भोग के दशंन | १ जो पे श्रीविहल रूप न धरते० २ नातर लीला होती जूनी० १ मेरे मन आनंद भयो० शयन भोग आये । १ माई प्रगरी कु वरि पृषभान के० २ वृषभान के बेटी जाइ० ३ बजत वृषभान के परम बधाई० ४ रावल राधा प्रगट भइ० क ५ प्रगट भई सोमा त्रिुवन की० व ' १ क्ृपासिधु श्रीविद्वलनाथ० ६ सकल भुवन की सुन्दरता ० न = संध्या समय । বারী রাহ জাং जा बैग पु १ हों चरनातपत्र की छेया० शयन्‌ दशर्न । शयनभोग श्राय १ आटे मादौ की उजियारी ২০ ৫ २ श्रीवपभानरायजू के आंगन बाजत० | १ मक्तखुधा নত ह प्रगटे० पोढवे में उत्सव के । २ श्रीलक्ष्मणगृह प्रगट भये दै माद्र शु ६ ( श्रगिरिधरलालजी को उत्सव ) | ३ श्रीविषठरनाथ बसत जिय जाके मगला दर्शन रायन भोगसरे । १ बधाई मंगरुचार० १ गां श्रीवक्मनंदन के गुण०




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